कभी ज्ञान विज्ञान से विश्व गुरु बना भारत आज विश्व पिच्छलग्गू बन चुका हैहनुमान की भांति जब निज विस्मृति (lostMemory) से बाहर आयेगा, वैदिक ज्ञान की आभा (glory) पहचानेगा,चमकाएगा तब तक केवल नारे से भ्रमायेगा स्वर्ण युग की उस शक्ति को पहचान देगा ज्ञानविज्ञान दर्पण तिलक (Join us to Build StrongBHARAT निस्संकोच ब्लॉग पर टिप्पणी/अनुसरण/ निशुल्क सदस्यता व yugdarpan पर इमेल/चैट करें, संपर्कसूत्र-तिलक संपादक युगदर्पण मीडिया समूह YDMS 09911111611, 9999777358.

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बिकाऊ मीडिया -व हमारा भविष्य

: : : क्या आप मानते हैं कि अपराध का महिमामंडन करते अश्लील, नकारात्मक 40 पृष्ठ के रद्दी समाचार; जिन्हे शीर्षक देख रद्दी में डाला जाता है। हमारी सोच, पठनीयता, चरित्र, चिंतन सहित भविष्य को नकारात्मकता देते हैं। फिर उसे केवल इसलिए लिया जाये, कि 40 पृष्ठ की रद्दी से क्रय मूल्य निकल आयेगा ? कभी इसका विचार किया है कि यह सब इस देश या हमारा अपना भविष्य रद्दी करता है? इसका एक ही विकल्प -सार्थक, सटीक, सुघड़, सुस्पष्ट व सकारात्मक राष्ट्रवादी मीडिया, YDMS, आइयें, इस के लिये संकल्प लें: शर्मनिरपेक्ष मैकालेवादी बिकाऊ मीडिया द्वारा समाज को भटकने से रोकें; जागते रहो, जगाते रहो।।: : नकारात्मक मीडिया के सकारात्मक विकल्प का सार्थक संकल्प - (विविध विषयों के 28 ब्लाग, 5 चेनल व अन्य सूत्र) की एक वैश्विक पहचान है। आप चाहें तो आप भी बन सकते हैं, इसके समर्थक, योगदानकर्ता, प्रचारक,Be a member -Supporter, contributor, promotional Team, युगदर्पण मीडिया समूह संपादक - तिलक.धन्यवाद YDMS. 9911111611: :

Thursday, April 28, 2011

तकनिकी श्रेष्ठता प्रोत्साहन (रु 1 लाख)

Kabhi hamara gyan vigyan utkrushth raha hai, jisne hamein Vishva Guru banaya tha. Fir usey grahan lagne se andhkar ho gaya, ab svatantrata ke bad hamare yuvaa apni pratibha se gyan vigyan ke shikhar ko chhune ki pratibha v kshamta rakte hain yah dikha rahe hain.
Takniki shreshthta ko puraskrut (Rs 1 lakh) kar protsahan v usey vyavsayik roop dene mein sahyog dvara svavlamban pradan karne ki FICCI ki niti mein Takniki vikas ke jin avishkaron ko isbar puraskrut kiya gaya aise 30 yuva avishkaron mein Chikitsa upkaran, krushi, Raksha, Banking, urjaa bhi hai.
Takniki panjiyan sankhya, sahit unke naam diye ja rahe hain kai apne Gyan ko apke samaksh yahan dene ko sahmat ho gaye hain shesh bhi bad mein jud jayenge. Aise anubhavon ki shrunkhala arambh ho rahi hai.
2163-Dr.Shyam Vasudeva Rao, 3netra;. 1746-sh Santosh Ostwal, Nano Ganesh; 1730-Dr. Padma S Vankar, 2223-Prachi Raj, 1759-Jay Krishnan, 1958-Nelvin Joseph, 1980-Abhishek Sinha, 1760-Balbir Onkar Singh, 1567-Dr. Manu Chaudhary, 2012-Mrinmayee Bhushan, 1769-Sundar Raman, 1405-Aninda Sircar, 1532-Gurudatt Shenoy, 1701-Praveen S. jambholkar, 1564-Ladkat Rajendra Vithal, 2097-Vishal Shah, 2218-Ajith Kumar P T, 2037-Altaf A Tinwala, 1495-S Uma Mahesh, 1649-Pushpendra Awadhiya, 2189-Arijit Dutta, 2053-Hitesh Mehta, 1447-Aniruddha R Gupte, 1456-Dr. Rajshri Banerjee, 1637-Dr. Shamrez Ali M, 1865-Ashish Anand, 1658-Sharath Chandar, 1663- Vaibhav Tidke, 1509-Mayank Pareek, 1974-Sarabjeet Singh Johar.

कभी हमारा ज्ञान विज्ञानं उत्कृष्ट रहा है, जिसने हमें विश्व गुरु बनाया था. फिर उसे ग्रहण लगने से अंधकार हो गया, अब स्वतंत्रता के बाद हमारे युवा अपनी प्रतिभा से ज्ञान विज्ञानं के शिखर को छूने की प्रतिभा व क्षमता रखते हैं यह दिखा रहे हैं.
तकनिकी श्रेष्ठता को पुरस्कृत (रु 1 लाख ) कर प्रोत्साहन व उसे व्यावसायिक रूप देने में सहयोग द्वारा स्वावलंबन प्रदान करने की फिक्की की निति में तकनिकी विकास के जिन अविष्कारों को इसबार पुरस्कृत किया गया ऐसे 30 युवा अविष्कारों में चिकित्सा उपकरण, कृषि, रक्षा, बैंकिंग, ऊर्जा भी है.तकनिकी पंजीयन संख्या, सहित उनके नाम दिए जा रहे हैं कई अपने ज्ञान को आपके समक्ष यहाँ देने को सहमत हो गए हैं शेष भी बाद में जुड़ जायेंगे. ऐसे अनुभवों की शृंखला आरंभ हो रही है.
2163-डॉ.श्याम वासुदेव राव, 3 नेत्र;. 1746-श्री संतोष ओसवाल, नेनो गणेश; 1730-डॉ. पद्मा स वानकर, 2223-प्राची राज, 1759-जय कृष्णन, 1958-नेल्विन जोसेफ, 1980-अभिषेक सिन्हा, 1760-बलबीर ओंकार सिंह, 1567-डॉ. मनु चौधरी, 2012-मृण्मयी भूषण, 1769-सुन्दर रमण, 1405-अनिन्दा सिरकार, 1532-गुरुदत्त शेनॉय, 1701-प्रवीण स. जम्भोलकर, 1564-लड्कत राजेंद्र विठल, 2097-विशाल शाह, 2218-अजित कुमार प टी, 2037-अल्ताफ अ तिन्वाला, 1495-स उमा महेश, 1649-पुष्पेन्द्र अवधिया, 2189-अरिजीत दुत्ता, 2053-हितेश मेहता,  1447-अनिरुद्ध र गुप्ते, 1456-डॉ. राजश्री बनर्जी, 1637-डॉ. शम्रेज़ अली म, 1865-आशीष आनंद, 1658-शरथ चंदर, 1663- वैभव तिडके, 1509-मयंक पारीक, 1974-सरबजीत सिंह जोहर.
कभी ज्ञान विज्ञान से विश्वगुरु भारत की स्वर्ण युग की उस शक्ति को पहचान देगा ज्ञानविज्ञान दर्पण! आओ मिलकर इसे बनायें- तिलक

Tuesday, April 12, 2011

श्री राम नवमी की कोटि कोटि हिदू समाज सहित आप सभी को हार्दिक शुभकामनाएं.....

श्री राम नवमी की कोटि कोटि हिदू समाज सहित आप सभी को हार्दिक शुभकामनाएं.....
तिलक राज रेलन,  संपादक युग दर्पण , 09911111611
कभी ज्ञान विज्ञान से विश्वगुरु भारत की स्वर्ण युग की उस शक्ति को पहचान देगा ज्ञानविज्ञान दर्पण!आओ मिलकर इसे बनायें- तिलक

Sunday, April 3, 2011

नव संवत 2068 की शुभकामनाएं।

उमंग उत्साह चाहे हो जितना दिखाया;
विक्रमी संवत बढ़ चढ़ के मनाएं,
चैत्र के नवरात्रे जब जब आयें
घर घर सजाएँ उमंग के दीपक जलाएं;
खुशियों से ब्रहमांड तक को महकाएं
यह केवल एक कैलेंडर नहीं, प्रकृति से सम्बन्ध है;
इसी दिन हुआ सृष्टि का आरंभ है
तदनुसार 4 अप्रैल 2011, इस धरा की 1955885112वीं वर्षगांठ तथा इसी दिन सृष्टि का शुभारंभ हुआ.आज के दिन का महात्य -
1.भगवन राम का राज्याभिषेक. 2.युधिस्ठिर संबत की शुरूवात.3 .बिक्रमादित्य का दिग्विजय. 4.बासंतिक नवरात्र की शुरूवात.5 .शिवाजी महाराज की राज्याभिषेक.6 .राष्ट्रीय स्वंयसेवक संघ के संस्थापक डॉ केशव बलिराम हेडगेवर जी का जन्मदिन. 
ईश्वर हम सबको ऐसी इच्छा शक्ति प्रदान करे जिससे हम अखंड माँ भारती को जगदम्बा का स्वरुप प्रदान करे, धरती मां पर छाये वैश्विक ताप रुपी दानव को परास्त करे... और सनातन धर्म का कल्याण हो..
युगदर्पण परिवार की ओर से अखिल विश्व में फैले हिन्दू समाज सहित,चरअचर सभी के लिए गुडी पडवा, उगादी,
नव संवत 2068 की शुभकामनाएं
जय भबानी ,जय श्री राम,भारत माता की जय.
तिलक संपादक युगदर्पण. .
(निस्संकोच ब्लॉग पर टिप्पणी/अनुसरण/निशुल्क सदस्यता व yugdarpanh पर इमेल/चैट करें संपर्कसूत्र-09911111611,9911145678,9540007993. www.deshkimitti.feedcluster.com/ http://www.deshkimitti.blogspot.com/
"अंधेरों के जंगल में,दिया मैंने जलाया है! इक दिया,तुम भी जलादो;अँधेरे मिट ही जायेंगे !!"- तिलककभी ज्ञान विज्ञान से विश्वगुरु भारत की स्वर्ण युग की उस शक्ति को पहचान देगा ज्ञानविज्ञान दर्पण!आओ मिलकर इसे बनायें- तिलक

Monday, January 17, 2011

आसमान में कितने तारे !! ---------------------------------------विश्व मोहन तिवारी , पूर्व एयर वाइस मार्शल

कभी ज्ञान विज्ञान से विश्वगुरु भारत की स्वर्ण युग की उस शक्ति को पहचान देगा ज्ञानविज्ञान दर्पण!आओ मिलकर इसे बनायें- tilak
एक लम्बी श्रन्खला की प्रथम कड़ी

1. आसमान में कितने तारे?

अकबर ने बीरबल से भी यही प्रश्न पूछा था। बीरबल ने समय माँगा और नाटक करने के बाद कोई बहुत बड़ी संख्या बतला दी। अकबर ने कहा कि वे तारे गिनवाएंगे, और उत्तरों की संख्या में अन्तर मिला तो बीरबल की खैर नहीं।बीरबल ने अपनी शैली में उत्तर दिया, “हुज़ूर, कुछ अंतर तो आ सकता है क्योंकि रोजाना अनेक तारे टूटते हैं। और हुज़ूर चाहें तो गिनती करवा सकते हैं।" अकबर बीरबल के इस उत्तर से खुश हो गए।

आज कोई भी ऐसे उत्तर से संतुष्ट नहीं होगा। क्योंकि यह वैज्ञानिक युग है। कोई भी कथन या परिकल्पना या निष्कर्ष या सिद्धान्त तब तक वैज्ञानिक नहीं माना जा सकता जबतक उसे जाँचने परखने की संभावना न हो । बीरबल को मालूम था कि उनके उत्तर को जाँचा या परखा नहीं जा सकता था, और वास्तव में यही उनका संदेश था।

विश्वसनीयता के लिये उत्तर वैज्ञानिक पद्धति से निकालना आवश्यक होता है। ऐसे प्रश्नों के उत्तर निकालने के लिये अवलोकन करना आवश्यक है, और तत्पश्चात अनुमान करना पड़ता है, क्योंकि खरबों तारों की गिनती बदलते वातावरण में तो असंभव है। वैज्ञानिक पद्धति में अनुमानों का उपयोग किया जाता है। अनुमान करने का भी वैज्ञानिक आधार होना चाहिये । फ़िर अनेक वैज्ञानिक स्वतंत्र रूप से वही कार्य करते हैं और जब सभी वैज्ञानिकों के उत्तर लगभग एक से मिलते हैं तब वह अनुमान विश्वसनीय होता है, और साथ ही उस अनुमान को कभी भी चुनौती के लिये तैयार रहना होता है। हम वैज्ञानिकों से यही अपेक्षा करते हैं और इसलिये उन पर विश्वास करते हैं।

जितने तारे हमें दिखते हैं, क्या आकाश में उतने ही तारे हैं? एक तो हमारा आँखों से देखना हुआ, और दूसरा, दूरदर्शियों की सहायता से देखना। और तीसरा, गणित के नियमों से 'देखना', जैसे नैप्टियून को पहले गणितज्ञों ने 'देखा' था; ऐसे देखने को भी अनुमान कहते हैं।वैज्ञानिकों का अनुमान है कि ऐसे स्थान से जहां अमावस्या की रात्रि में कोई शहरी उजाला न हो, निर्मल आकाश में स्वस्थ्य आँखों से हमें लगभग ३००० तारे दिखते हैं। दूरदर्शियों से दिखने वाले तारों की संख्या दूरदर्शी की शक्ति के अनुसार बढ़ती जाती है। क्या तारों की संख्या अनंत है? यदि ब्रह्माण्ड अनंत है तब भी सितारों की संख्या अनंत नहीं हो सकती, क्योंकि तब अनंत द्रव्य या ऊर्जा की आवश्यकता होगी। महान विस्फ़ोट के समय अनंत द्रव्य या ऊर्जा नहीं थी। वैसे, ब्रह्माण्ड भी अनंत नहीं हो सकता क्योंकि उसका तो प्रसार हो रहा है और उसका अभ्युदय एक निश्चित समय पहले हुआ था। हम कह सकते हैं कि उसकी त्रिज्या लगभग १३.५ प्रकाश वर्ष है।

मोटे तौर पर हमारी मंदाकिनी (गैलैक्सी) आकाश गंगा (मिल्की वे) में लगभग २०० अरब तारे हैं। अभी ताजे समाचारों के आधार पर आकाश गंगा में ४०० अरब तारे हैं। देखिये, वैज्ञानिकों के लिये भी कितना कठिन है विश्वसनीय अनुमान लगाना। किन्तु वैज्ञानिक हमेशा तैयार रहते हैं परखने के लिये और अपने विचार या निष्कर्ष बदलने के लिये । और हमारी पड़ोसन एन्ड्रोमिडा में‌ १००० अरब तारे हैं। अभी तक हब्बल जैसे संवेदनशील दूरदर्शी (टैलैस्कोप)से लगभग ५० अरब मंदाकिनियां देख सकते हैं। अब आप स्वयं अनुमान लगा सकते हैं कि आसमान में कितने तारे हैं !

Saturday, September 11, 2010

आत्मग्लानी नहीं स्वगौरव का भाव जगाएं, विश्वगुरु

आत्मग्लानी नहीं स्वगौरव का भाव जगाएं, विश्वगुरु  मैकाले व वामपंथियों से प्रभावित कुशिक्षा से पीड़ित समाज का एक वर्ग, जिसे देश की श्रेष्ठ संस्कृति, आदर्श, मान्यताएं, परम्पराएँ, संस्कारों का ज्ञान नहीं है अथवा स्वीकारने की नहीं नकारने की शिक्षा में पाले होने से असहजता का अनुभव होता है! उनकी हर बात आत्मग्लानी की ही होती है! स्वगौरव की बात को काटना उनकी प्रवृति बन चुकी है! उनका विकास स्वार्थ परक भौतिक विकास है, समाज शक्ति का उसमें कोई स्थान नहीं है! देश की श्रेष्ठ संस्कृति, परम्परा व स्वगौरव की बात उन्हें समझ नहीं आती! 
 किसी सुन्दर चित्र पर कोई गन्दगी या कीचड़ के छींटे पड़ जाएँ तो उस चित्र का क्या दोष? हमारी सभ्यता  "विश्व के मानव ही नहीं चर अचर से,प्रकृति व सृष्टि के कण कण से प्यार " सिखाती है..असभ्यता के प्रदुषण से प्रदूषित हो गई है, शोधित होने के बाद फिर चमकेगी, किन्तु हमारे दुष्ट स्वार्थी नेता उसे और प्रदूषित करने में लगे हैं, देश को बेचा जा रहा है, घोर संकट की घडी है, आत्मग्लानी का भाव हमे इस संकट से उबरने नहीं देगा. मैकाले व वामपंथियों ने इस देश को आत्मग्लानी ही दी है, हम उसका अनुसरण नहीं निराकरण करें, देश सुधार की पहली शर्त यही है, देश भक्ति भी यही है !
भारत जब विश्वगुरु की शक्ति जागृत करेगा, विश्व का कल्याण हो जायेगा !

 कभी ज्ञान विज्ञान से विश्वगुरु भारत की स्वर्ण युग की
 उस शक्ति को पहचान देगा ज्ञानविज्ञान दर्पण!
आओ मिलकर इसे बनायें- तिलक

Monday, May 24, 2010

कम्प्यूटर और स्वावलंबन

कम्प्यूटर और स्वावलंबन

म्पूटर आज के समय का सर्वाधिक विश्वसनीय व् महत्वपूर्ण उपकरण है जिसपर हम पूर्णतया निर्भर करते हैं! सर्च इंजन से कुछ भी खोज सकते हैं मात्र एक संकेत पर ! मदारी ने कुछ चमत्कार दिखलाय, (पहले के मदारी तो खेल करतब से मनोरंजन कर दो समय की रोटी की भीख मानता था) हमारे देश के नेताओं ने देश का भविष्य ही मदारी के हाथों सौंप दिया! कभी वायरस, कभी हेकिंग, कभी गुप्त जानकारी से बेंक से खाता खाली! कुछ दिन पूर्व नोएडा पुलिस का नेटवर्क जो विदेशी संचित था बंद हो गया था! संभवत: यह पुराभ्यास था इस देश को ठप्प करने का, अथवा इस धमकी से कुछ मनवाने का प्रयास! अब हम आगे बड़ते हैं -हमने खोजना चाह भारत योग संस्थान, हमें उसके स्थान पर 3 प्रकार के परिणाम विदेशों के योग क्लब , कई प्रकार के संसथान भारत पेट्रोलियम से लेकर भारत के वेश्यालयों तक की जानकारी मिलेगी! अब आप भारत योग संसथान पंजीकृत कर पुन: खोजना चाहें निश्चित नहीं है खोज पाना ! कई बार हम अपनी ही साईट खोलने हेतु पासवर्ड डालते है- आपका पासवर्ड स्वीकार नहीं होता आपको कहा जाता है आप पासवर्ड भूल गए हैं आपके दुसरे पते पर नया अवसर आपको दिया जाता है यदि अन्य पता नहीं है तो ?.. आपको दास बनाने वाले मुक्ति के सभी मार्ग बंद कर देते हैं ! एक है कम्पूटर का ज्ञान कोष विकिपीडिया एक बार उसका अनुभव लिया मेटाविकी कई विषयों पर कई भाषाओँ पर अपनी भाषा देखने की उत्सुकता जगी तो पाया विश्व के कई ऐसे देश जिनका नाम भी नहीं जाना जाता उनकी भाषा, नेपाली तक में मेटा विकी है किन्तु हिंदी में नहीं! विश्व की महाशक्ति बनने के प्रयास में हर छोटे बड़े देश की धमकी सुनते सुनते हम मेटा विकी हिंदी में नहीं कर पाए !

चलिए राष्ट्र निर्माण का प्रयास करते हैं ! अपनी बात सर्व सहमती की होनी चाहिए, इस विषय पर अन्य विद्वानों के विचार जानने के लिए विषय अंकित कर बटन दबाया कई लेखकों की सूचि मिली, विषय विवरण पड़कर धीरज बंधा की हमारे विचार से मेल खाता है ! ज्ञान बंटोरने लगे तो सभी अमेरिका के राष्ट्र निर्माण की बात करते मिले! अँगरेज़ कहते थे भारत कभी एक राष्ट्र नहीं था अब अमेरिका व् मैकाले की अनुचित संतानों को पुष्टि मिल गई ! पराश्रित विकास क्रम में कभी भी नीचे से सीडी खिंच सकती है किन्तु स्वावलंबी धीरे चले तो भी विजय निश्चित, निर्बाध है !
यह राष्ट्र जो कभी विश्वगुरु था,आजभी इसमें वह गुण,योग्यता व क्षमता विद्यमान है! आओ मिलकर इसे बनायें- तिलक
कभी ज्ञान विज्ञान से विश्वगुरु भारत की स्वर्ण युग की उस शक्ति को पहचान देगा ज्ञानविज्ञान दर्पण!आओ मिलकर इसे बनायें- तिलक

Monday, May 17, 2010

युगदर्पण कभी ज्ञान विज्ञान से विश्वगुरु भारत की स्वर्ण युग की उस शक्ति को पहचान देगा ज्ञानविज्ञान दर्पण!आओ मिलकर इसे बनायें- तिलक