कभी ज्ञान विज्ञान से विश्व गुरु बना भारत आज विश्व पिच्छलग्गू बन चुका हैहनुमान की भांति जब निज विस्मृति (lostMemory) से बाहर आयेगा, वैदिक ज्ञान की आभा (glory) पहचानेगा,चमकाएगा तब तक केवल नारे से भ्रमायेगा स्वर्ण युग की उस शक्ति को पहचान देगा ज्ञानविज्ञान दर्पण तिलक (Join us to Build StrongBHARAT निस्संकोच ब्लॉग पर टिप्पणी/अनुसरण/ निशुल्क सदस्यता व yugdarpan पर इमेल/चैट करें, संपर्कसूत्र-तिलक संपादक युगदर्पण मीडिया समूह YDMS 09911111611, 9999777358.

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: : : क्या आप मानते हैं कि अपराध का महिमामंडन करते अश्लील, नकारात्मक 40 पृष्ठ के रद्दी समाचार; जिन्हे शीर्षक देख रद्दी में डाला जाता है। हमारी सोच, पठनीयता, चरित्र, चिंतन सहित भविष्य को नकारात्मकता देते हैं। फिर उसे केवल इसलिए लिया जाये, कि 40 पृष्ठ की रद्दी से क्रय मूल्य निकल आयेगा ? कभी इसका विचार किया है कि यह सब इस देश या हमारा अपना भविष्य रद्दी करता है? इसका एक ही विकल्प -सार्थक, सटीक, सुघड़, सुस्पष्ट व सकारात्मक राष्ट्रवादी मीडिया, YDMS, आइयें, इस के लिये संकल्प लें: शर्मनिरपेक्ष मैकालेवादी बिकाऊ मीडिया द्वारा समाज को भटकने से रोकें; जागते रहो, जगाते रहो।।: : नकारात्मक मीडिया के सकारात्मक विकल्प का सार्थक संकल्प - (विविध विषयों के 28 ब्लाग, 5 चेनल व अन्य सूत्र) की एक वैश्विक पहचान है। आप चाहें तो आप भी बन सकते हैं, इसके समर्थक, योगदानकर्ता, प्रचारक,Be a member -Supporter, contributor, promotional Team, युगदर्पण मीडिया समूह संपादक - तिलक.धन्यवाद YDMS. 9911111611: :
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Saturday, October 22, 2022

*ज्योतिष शास्त्र/रत्न शास्त्र- माणिक्य और उसका विकल्प?* 

*युदस नदि 22, अक्टू 2022;* 

हाथ में यदि सूर्य का बहुमुल्य रत्न माणिक्य नहीं पहन सकते तो हाथ में बांध लें, इस पेड़ की जड़, सूर्य देव की कृपा से चमक सकता है भाग्य।
रत्न शास्त्र अनुसार बेल के पेड़ की जड़ का संबंध सूर्य ग्रह से माना जाता है। आइए जानते हैं इसे धारण करने के लाभ तथा विधि…



रत्न शास्त्र के ज्ञाताओं के अनुसार:-
बेल के पेड़ की जड़- *(फाइल चित्र)*
ज्योतिष शास्त्र में ग्रहों के अशुभ प्रभाव को दूर करने के लिए उपायों का वर्णन किया गिया है। जिसमें ग्रहों से संबंधित मंत्र और रत्नों का वर्णन किया गया है। आपको बता दें कि एक स्थान पर बैठ, मंत्र यज्ञ के अतिरिक्त रत्नादि से उपचार, किया जाता है। वहीं रत्नों को हाथ में धारण किया जाता है। किन्तु कुछ रत्न बहुत महंगे होते हैं। जिनके विकल्प रूप, ज्योतिष में पेड़ों की जड़ का वर्णन किया गया है। आगे यहां हम बात करेंगे, बेल के पेड़ की जड़ के बारे में, जिसका संबंध सूर्य ग्रह से होता है। अर्थात यदि आप माणिक्य रत्न नहीं पहन सकते, तो आप बेल के पेड़ की जड़ को धारण कर सकते हैं। आइए जानते हैं बेल की जड़ का महत्व और धारण करने की विधि…
रत्न शास्त्र अनुसार जिस प्रकार माणिक्य को सूर्य का रत्न एवं शुभ फल दायक माना जाता है, बेल की जड़ धारण करने से भी, सूर्य के रत्न माणिक्य के समान शुभ फल प्रदान होते हैं। बेल की जड़ धारण करने से आपके आत्मविश्वास में वृद्धि हो सकती है। इस जड़ को धारण करने से ह्रदय रोग, आंख के रोग, पित्त विकार से भी मुक्ति मिल सकती है। वहीं नौकरी व्यवसाय और राजनीति के लोग इस जड़ को धारण कर सकते हैं। उनका भविष्य उज्जवल हो, अच्छी सफलता मिल सकती है।

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तिलक रेलन आज़ाद वरिष्ठ पत्रकार


कभी ज्ञान विज्ञान से विश्वगुरु भारत की, स्वर्ण युग की उस शक्ति को पहचान देगा; ज्ञान -विज्ञान दर्पण | आओ, मिलकर इसे बनायें; - तिलक