Sunday, April 3, 2011
नव संवत 2068 की शुभकामनाएं।
Monday, January 17, 2011
आसमान में कितने तारे !! ---------------------------------------विश्व मोहन तिवारी , पूर्व एयर वाइस मार्शल
एक लम्बी श्रन्खला की प्रथम कड़ी
1. आसमान में कितने तारे?
अकबर ने बीरबल से भी यही प्रश्न पूछा था। बीरबल ने समय माँगा और नाटक करने के बाद कोई बहुत बड़ी संख्या बतला दी। अकबर ने कहा कि वे तारे गिनवाएंगे, और उत्तरों की संख्या में अन्तर मिला तो बीरबल की खैर नहीं।बीरबल ने अपनी शैली में उत्तर दिया, “हुज़ूर, कुछ अंतर तो आ सकता है क्योंकि रोजाना अनेक तारे टूटते हैं। और हुज़ूर चाहें तो गिनती करवा सकते हैं।" अकबर बीरबल के इस उत्तर से खुश हो गए।
आज कोई भी ऐसे उत्तर से संतुष्ट नहीं होगा। क्योंकि यह वैज्ञानिक युग है। कोई भी कथन या परिकल्पना या निष्कर्ष या सिद्धान्त तब तक वैज्ञानिक नहीं माना जा सकता जबतक उसे जाँचने परखने की संभावना न हो । बीरबल को मालूम था कि उनके उत्तर को जाँचा या परखा नहीं जा सकता था, और वास्तव में यही उनका संदेश था।
विश्वसनीयता के लिये उत्तर वैज्ञानिक पद्धति से निकालना आवश्यक होता है। ऐसे प्रश्नों के उत्तर निकालने के लिये अवलोकन करना आवश्यक है, और तत्पश्चात अनुमान करना पड़ता है, क्योंकि खरबों तारों की गिनती बदलते वातावरण में तो असंभव है। वैज्ञानिक पद्धति में अनुमानों का उपयोग किया जाता है। अनुमान करने का भी वैज्ञानिक आधार होना चाहिये । फ़िर अनेक वैज्ञानिक स्वतंत्र रूप से वही कार्य करते हैं और जब सभी वैज्ञानिकों के उत्तर लगभग एक से मिलते हैं तब वह अनुमान विश्वसनीय होता है, और साथ ही उस अनुमान को कभी भी चुनौती के लिये तैयार रहना होता है। हम वैज्ञानिकों से यही अपेक्षा करते हैं और इसलिये उन पर विश्वास करते हैं।
जितने तारे हमें दिखते हैं, क्या आकाश में उतने ही तारे हैं? एक तो हमारा आँखों से देखना हुआ, और दूसरा, दूरदर्शियों की सहायता से देखना। और तीसरा, गणित के नियमों से 'देखना', जैसे नैप्टियून को पहले गणितज्ञों ने 'देखा' था; ऐसे देखने को भी अनुमान कहते हैं।वैज्ञानिकों का अनुमान है कि ऐसे स्थान से जहां अमावस्या की रात्रि में कोई शहरी उजाला न हो, निर्मल आकाश में स्वस्थ्य आँखों से हमें लगभग ३००० तारे दिखते हैं। दूरदर्शियों से दिखने वाले तारों की संख्या दूरदर्शी की शक्ति के अनुसार बढ़ती जाती है। क्या तारों की संख्या अनंत है? यदि ब्रह्माण्ड अनंत है तब भी सितारों की संख्या अनंत नहीं हो सकती, क्योंकि तब अनंत द्रव्य या ऊर्जा की आवश्यकता होगी। महान विस्फ़ोट के समय अनंत द्रव्य या ऊर्जा नहीं थी। वैसे, ब्रह्माण्ड भी अनंत नहीं हो सकता क्योंकि उसका तो प्रसार हो रहा है और उसका अभ्युदय एक निश्चित समय पहले हुआ था। हम कह सकते हैं कि उसकी त्रिज्या लगभग १३.५ प्रकाश वर्ष है।
मोटे तौर पर हमारी मंदाकिनी (गैलैक्सी) आकाश गंगा (मिल्की वे) में लगभग २०० अरब तारे हैं। अभी ताजे समाचारों के आधार पर आकाश गंगा में ४०० अरब तारे हैं। देखिये, वैज्ञानिकों के लिये भी कितना कठिन है विश्वसनीय अनुमान लगाना। किन्तु वैज्ञानिक हमेशा तैयार रहते हैं परखने के लिये और अपने विचार या निष्कर्ष बदलने के लिये । और हमारी पड़ोसन एन्ड्रोमिडा में १००० अरब तारे हैं। अभी तक हब्बल जैसे संवेदनशील दूरदर्शी (टैलैस्कोप)से लगभग ५० अरब मंदाकिनियां देख सकते हैं। अब आप स्वयं अनुमान लगा सकते हैं कि आसमान में कितने तारे हैं !
Saturday, September 11, 2010
आत्मग्लानी नहीं स्वगौरव का भाव जगाएं, विश्वगुरु
कभी ज्ञान विज्ञान से विश्वगुरु भारत की स्वर्ण युग की
उस शक्ति को पहचान देगा ज्ञानविज्ञान दर्पण!
आओ मिलकर इसे बनायें- तिलक
Monday, May 24, 2010
कम्प्यूटर और स्वावलंबन
कम्पूटर आज के समय का सर्वाधिक विश्वसनीय व् महत्वपूर्ण उपकरण है जिसपर हम पूर्णतया निर्भर करते हैं! सर्च इंजन से कुछ भी खोज सकते हैं मात्र एक संकेत पर ! मदारी ने कुछ चमत्कार दिखलाय, (पहले के मदारी तो खेल करतब से मनोरंजन कर दो समय की रोटी की भीख मानता था) हमारे देश के नेताओं ने देश का भविष्य ही मदारी के हाथों सौंप दिया! कभी वायरस, कभी हेकिंग, कभी गुप्त जानकारी से बेंक से खाता खाली! कुछ दिन पूर्व नोएडा पुलिस का नेटवर्क जो विदेशी संचित था बंद हो गया था! संभवत: यह पुराभ्यास था इस देश को ठप्प करने का, अथवा इस धमकी से कुछ मनवाने का प्रयास! अब हम आगे बड़ते हैं -हमने खोजना चाह भारत योग संस्थान, हमें उसके स्थान पर 3 प्रकार के परिणाम विदेशों के योग क्लब , कई प्रकार के संसथान भारत पेट्रोलियम से लेकर भारत के वेश्यालयों तक की जानकारी मिलेगी! अब आप भारत योग संसथान पंजीकृत कर पुन: खोजना चाहें निश्चित नहीं है खोज पाना ! कई बार हम अपनी ही साईट खोलने हेतु पासवर्ड डालते है- आपका पासवर्ड स्वीकार नहीं होता आपको कहा जाता है आप पासवर्ड भूल गए हैं आपके दुसरे पते पर नया अवसर आपको दिया जाता है यदि अन्य पता नहीं है तो ?.. आपको दास बनाने वाले मुक्ति के सभी मार्ग बंद कर देते हैं ! एक है कम्पूटर का ज्ञान कोष विकिपीडिया एक बार उसका अनुभव लिया मेटाविकी कई विषयों पर कई भाषाओँ पर अपनी भाषा देखने की उत्सुकता जगी तो पाया विश्व के कई ऐसे देश जिनका नाम भी नहीं जाना जाता उनकी भाषा, नेपाली तक में मेटा विकी है किन्तु हिंदी में नहीं! विश्व की महाशक्ति बनने के प्रयास में हर छोटे बड़े देश की धमकी सुनते सुनते हम मेटा विकी हिंदी में नहीं कर पाए !
चलिए राष्ट्र निर्माण का प्रयास करते हैं ! अपनी बात सर्व सहमती की होनी चाहिए, इस विषय पर अन्य विद्वानों के विचार जानने के लिए विषय अंकित कर बटन दबाया कई लेखकों की सूचि मिली, विषय विवरण पड़कर धीरज बंधा की हमारे विचार से मेल खाता है ! ज्ञान बंटोरने लगे तो सभी अमेरिका के राष्ट्र निर्माण की बात करते मिले! अँगरेज़ कहते थे भारत कभी एक राष्ट्र नहीं था अब अमेरिका व् मैकाले की अनुचित संतानों को पुष्टि मिल गई ! पराश्रित विकास क्रम में कभी भी नीचे से सीडी खिंच सकती है किन्तु स्वावलंबी धीरे चले तो भी विजय निश्चित, निर्बाध है !
यह राष्ट्र जो कभी विश्वगुरु था,आजभी इसमें वह गुण,योग्यता व क्षमता विद्यमान है! आओ मिलकर इसे बनायें- तिलक
कभी ज्ञान विज्ञान से विश्वगुरु भारत की स्वर्ण युग की उस शक्ति को पहचान देगा ज्ञानविज्ञान दर्पण!आओ मिलकर इसे बनायें- तिलक