कभी ज्ञान विज्ञान से विश्व गुरु बना भारत आज विश्व पिच्छलग्गू बन चुका हैहनुमान की भांति जब निज विस्मृति (lostMemory) से बाहर आयेगा, वैदिक ज्ञान की आभा (glory) पहचानेगा,चमकाएगा तब तक केवल नारे से भ्रमायेगा स्वर्ण युग की उस शक्ति को पहचान देगा ज्ञानविज्ञान दर्पण तिलक (Join us to Build StrongBHARAT निस्संकोच ब्लॉग पर टिप्पणी/अनुसरण/ निशुल्क सदस्यता व yugdarpan पर इमेल/चैट करें, संपर्कसूत्र-तिलक संपादक युगदर्पण मीडिया समूह YDMS 09911111611, 9999777358.

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बिकाऊ मीडिया -व हमारा भविष्य

: : : क्या आप मानते हैं कि अपराध का महिमामंडन करते अश्लील, नकारात्मक 40 पृष्ठ के रद्दी समाचार; जिन्हे शीर्षक देख रद्दी में डाला जाता है। हमारी सोच, पठनीयता, चरित्र, चिंतन सहित भविष्य को नकारात्मकता देते हैं। फिर उसे केवल इसलिए लिया जाये, कि 40 पृष्ठ की रद्दी से क्रय मूल्य निकल आयेगा ? कभी इसका विचार किया है कि यह सब इस देश या हमारा अपना भविष्य रद्दी करता है? इसका एक ही विकल्प -सार्थक, सटीक, सुघड़, सुस्पष्ट व सकारात्मक राष्ट्रवादी मीडिया, YDMS, आइयें, इस के लिये संकल्प लें: शर्मनिरपेक्ष मैकालेवादी बिकाऊ मीडिया द्वारा समाज को भटकने से रोकें; जागते रहो, जगाते रहो।।: : नकारात्मक मीडिया के सकारात्मक विकल्प का सार्थक संकल्प - (विविध विषयों के 28 ब्लाग, 5 चेनल व अन्य सूत्र) की एक वैश्विक पहचान है। आप चाहें तो आप भी बन सकते हैं, इसके समर्थक, योगदानकर्ता, प्रचारक,Be a member -Supporter, contributor, promotional Team, युगदर्पण मीडिया समूह संपादक - तिलक.धन्यवाद YDMS. 9911111611: :

Saturday, March 30, 2013

वैचारिक क्रांति का सूत्रपात, कुचक्रों से घिरा राष्ट्र जागे !

वैचारिक क्रांति का सूत्रपात, कुचक्रों से घिरा राष्ट्र जागे 
हुँ ओर से लपटों में झुलसते राष्ट्र को बचने की चिंता केवल भारत के सच्चे सपूतों को ही होगी। अन्य तो मात्र पाखंड ही करेंगे। हमें भारत को उन लपटों से बचाना भी है, और उस पाखंड को भी खंड खंड करना है।
      केवल राजनैतिक, आर्थिक या सुरक्षा का मामला ही नहीं, सारी व्यवस्था, पूरी सोच राष्ट्र भाव तथा सांस्कृतिक गौरव से विहीन, लुंज पुंज होने के पीछे आधुनिकता के नाम पर मैकाले वाद तथा पाश्चात्य शैली का अँधा अनुसरण है। स्थिति जितनी व्यापक व भयावह है, चुनौती उतनी ही बड़ी है। इसका उतना ही व्यापक व गहन तथा लम्बा उपचार भी करना होगा । 
  सारी स्थिति व चुनौती को समझने एवं उपयुक्त उपचार के लिए युगदर्पण की सोच को जानने समझने यह लेख तथा व्यापक युगदर्पण मीडिया समूह YDMS देखें, बस आवश्यकता है इसके अनुरूप सोच व समर्पण से युक्त जुझारू सशक्त लेखकों के समूह की तथा इसे जन जन तक पहुँचाने की। 
युगदर्पण मीडिया समूह YDMS विविध विषयों के 28 ब्लाग, 5 चेनल व तना ही व्यापक अन्य सूत्र का महाजाल जिसकी एक वैश्विक पहचान है। इस सोच व संघर्ष के साथी बन आप इनमें लिख भी सकते हैं व इसके लेख E मेल से पा भी सकते है तथा उन्हें पुनर्प्रकाशित भी कर सकते हैं। हमारे 5 चैनल का विवरण लेख के अंत में है। तथा सभी 28 ब्लाग के "नए रूप" का पूरा विवरण अगले 4 दिन में विस्तार से मिलता रहेगा। जिके Book Mark या Custom Link Renew बदल गए हों; वे वेब से विविध विषयों के Link ले कर नए Book Mark बना सकते हैं, या ब्लाग में सीधे जुड़ सकते हैं।। 
जिसके 28में से एक ब्लाग राष्ट्र दर्पण के पृष्ठों में देश के विभिन्न राज्यों की स्थिति के बारे में क्षेत्र अनुसार अंकित विस्तृत जानकारी इस लेख में है। हमारे अन्य सूत्र (लिंक)http://draft.blogger.com/blogger.g?blogID=1452973826612011101#editor/target=page;pageID=1562547998781675205

http://draft.blogger.com/blogger.g?blogID=1452973826612011101#pages में आप पाएंगे 
1) पूर्व भारत के राज्यhttp://draft.blogger.com/blogger.g?blogID=1452973826612011101#editor/target=page;pageID=7234313184600869469 --
पूर्व के ये द्वार खोले उषा की किरणों हेतु, आतंकी काले साये- फिर कहाँ से आए ?
असम, बंगाल, उड़ीसा, सप्त द्वार (सिक्किम, अरुणांचल, मणिपुर, मेघालय, मिज़ो, नागालेंड, त्रिपुरा) 
..........क्या पूर्वोत्तर भारत का यह सत्य झुठलाया जा सकता है ?.........
2) पश्चिम भारत के राज्यhttp://draft.blogger.com/blogger.g?blogID=1452973826612011101#editor/target=page;pageID=1419492129237308499 --
आक्रान्ताओं की तलवारों के वारों को झेला व रोका
पंजाब, राजस्थान, गुजरात, महाराष्ट्र, गोवा व द्वीप समूह.
3) उत्तर भारत के राज्यhttp://draft.blogger.com/blogger.g?blogID=1452973826612011101#editor/target=page;pageID=2736568412854865036 --
मुकुट में भी आग लगी हो, नींद हमें कैसे आ जाये ?
जे.के., हिम.प्र., उत्तरा.खं., हरयाणा, चंडी., दिल्ली, उ.प्र.
4) दक्षिण भारत के राज्यhttp://draft.blogger.com/blogger.g?blogID=1452973826612011101#editor/target=page;pageID=2049083574967429477 --
भाषा न जाने, दिल को पहचाने
आन्ध्र.प्र., कर्ना., केरल, तमिलनाडु, पांडी., अं. नि. द्वीपसमूह. 
5) मध्य भारत के राज्यhttp://draft.blogger.com/blogger.g?blogID=1452973826612011101#editor/target=page;pageID=892471322916054448 --
राष्ट्र के ह्रदय प्रदेश 
मध्य प्र., छत्तीसगढ़, बिहार, झाड़खंड 
हमारे चेनल: दूरदर्पण, ग्रन्थ ज्ञान दर्पण, दूरदर्पण मनोरंजन, देश समाज दर्पण, जीवन रस दर्पण, 5 youtube चेनल:- दूरदर्पण चैनल: विविध विषयों के भाग (18 PlayList)--; ग्रन्थज्ञानदर्पण चैनल: धर्म, ग्रन्थ ज्ञान, विज्ञान, मनोविज्ञान, योग, स्वास्थ्य, चिकित्सा, ज्योतिष, दर्शन शास्त्र, और तत्वज्ञान व बौद्धिक ज्ञान का दर्पण--; दूरदर्पण मनोरंजन: स्वस्थ मनोरंजन के साधन हेतु दूरदर्पण की प्रस्तुति दूरदर्पण मनोरंजन चैनल; देश समाज दर्पण चैनल: देश, समाज, इतिहास, परम्पराएं, व्यवस्था, राजनीति, कृति, संस्कृति सभ्यता, पर्यावरण और पर्यटन धरोहर का दर्पण --; जीवन रस दर्पण चैनल: काव्य, साहित्य, कला, प्रतिभा, क्रीडा, मनोरंजन, गीत, संगीत, कृति, प्रस्तुति, जीवन के मेले का दर्पण -- कृप्या प्रतिक्रिया दें | आपकी प्रतिक्रिया हमारे लिए महत्व पूर्ण है  इस से संशोधन और उत्साह पाकर हम आपको श्रेष्ठतम सामग्री दे सकेंगे | धन्यवाद -तिलक संपादक 9911111611, 9999777358.
नकारात्मक मीडिया के सकारात्मक विकल्प का सार्थक व्यापक संकल्प - (विविध विषयों के 28 ब्लाग, 5 चेनल व अन्य सूत्र) की 60 से अधिक देशों में एक वैश्विक पहचान है। आप चाहें तो आप भी इस सोच व संघर्ष के साथी बन सकते हैं, इसके समर्थक, योगदानकर्ता, प्रचारक,  Be a member -Supporter, contributor, promotional Team, तिलक -संपादक युगदर्पण मीडिया समूह YDMS9911111611, yugdarpan.com 

विविध विषयों के 28 ब्लाग में से 14 :-
http://antarikshadarpan.blogspot.in/2013/03/blog-post_30.html


यह राष्ट्र जो कभी विश्वगुरु था, आज भी इसमें वह गुण,
 योग्यता व क्षमता विद्यमान है | आओ मिलकर इसे बनायें; - तिलक
विश्वगुरु रहा वो भारत, इंडिया के पीछे कहीं खो गया |
 इंडिया से भारत बनकर ही, विश्व गुरु बन सकता है; - तिलक
कभी ज्ञान विज्ञान से विश्वगुरु भारत की,
 स्वर्ण युग की उस शक्ति को पहचान देगा;
 ज्ञान -विज्ञान दर्पण | आओ, मिलकर इसे बनायें; - तिलक

Sunday, March 24, 2013

होली की हार्दिक बधाई व शुभकामनायें,

होली की हार्दिक बधाई व शुभकामनायें, 
सभी क्षेत्रवासियों, प्रदेशवासियों सहित देश विदेश में बसे समस्त हिन्दू समाज को होली की हार्दिक बधाई, युगदर्पण परिवार YDMS की ओर से हार्दिक शुभकामनायें, 
वन्देमातरम, होली पारंपरिक प्रेम से मनाएं, पारंपरिक पर्वों को अरूचिकर बनाने के विदेशी कुचक्रो से, अभद्रता व नशे को नहीं, सादगी व सोम्यता को अपनाएं। अपनी संस्कृति अपनी धरोहर से राष्ट्र तथा राष्ट्र से ही हम हैं। आधुनिकता फैशन या परम्परा नकारने में नहीं, परम्पराओं  को आधुनिक धरातल देने में है। अपनी संस्कृति के आधुनिक रक्षक बने, युगदर्पण मीडिया समूह YDMS परिवार में आप भी जुड़ें:-  
नकारात्मक मीडिया के सकारात्मक विकल्प का सार्थक संकल्प - (विविध विषयों के 28 ब्लाग, 5 चेनल व अन्य सूत्र) की एक वैश्विक पहचान है। 
तिलक 9911111611, yugdarpan.com 

http://yuvaadarpan.blogspot.in/2013/03/blog-post_23.html
http://raashtradarpan.blogspot.in/2013/03/blog-post_24.html
http://jeevanshailydarpan.blogspot.in/2013/03/blog-post_24.html
http://samaajdarpan.blogspot.in/2013/03/blog-post_24.html
http://dharmsanskrutidarpan.blogspot.in/2013/03/blog-post_23.html
http://satyadarpan.blogspot.in/2013/03/ydms-28-5-9911111611-yugdarpan.html
http://vishvadarpan.blogspot.in/2013/03/blog-post.html
http://shikshaadarpan.blogspot.in/2013/03/blog-post.html 
http://paryaavarandarpan.blogspot.in/2013/03/blog-post.html
http://paryatandharohardarpan.blogspot.in/2013/03/blog-post_24.html
http://kaaryakshetradarpan.blogspot.in/2013/03/blog-post_24.html
http://mahilaagharparivaardarpan.blogspot.in/2013/03/blog-post_24.html
http://antarikshadarpan.blogspot.in/2013/03/blog-post.html

कभी ज्ञान विज्ञान से विश्वगुरु भारत की, स्वर्ण युग की उस शक्ति को पहचान देगा; ज्ञान -विज्ञान दर्पण | आओ, मिलकर इसे बनायें; - तिलक

Friday, March 8, 2013

मान्यता धरोहर ज्ञान विज्ञान शैली: ये ब्लाग देखें

मान्यता धरोहर ज्ञान विज्ञान शैली: ये ब्लाग देखें
धर्म संस्कृति:- http://www.dharmsanskrutidarpan.blogspot.com/ 
ज्ञान विज्ञान:- http://www.gyaanvigyaandarpan.blogspot.com/ 
जीवन शैली:- http://www.jeevanshailydarpan.blogspot.com/ 

पर्यटनधरोहर:- http://www.paryatandharohardarpan.blogspot.com/
श्री राम सेतु:
हाल ही में केंद्रीय सरकार ने सुप्रीम कोर्ट को सूचित किया है कि उसने रामसेतु के मुद्दे पर गठित यह आर.के. पचौरी समिति की रिपोर्ट को सेतु समुद्रम परियोजना को गंभीर तथ्यों के आधार पर लेने के विचार को निरस्त कर दिया है। आर.के. पचौरी समिति की रिपोर्ट ने सेतु समुद्रम को न केवल आर्थिक और पारिस्थितिक अलाभकारी परियोजना करार दिया था और यहां तक ​​कि श्री रामसेतु के इतर एक अन्य वैकल्पिक मार्ग का सुझाव दिया है। इस समिति के इतर, कई विशेषज्ञों ने रामसेतु विध्वंस के साथ भारत के समुद्र में उपलब्ध कई मूल्यवान प्राकृतिक संपदा के नष्ट होने की शंका व्यक्त की व इसके कारण सूनामी का भी बढ़ सकता है, किन्तु इन सभी सुझावों की अनदेखी करके सरकार सेतु गिराने पर तुली हुई है।
   इस के अतिरिक्त, रामसेतु न केवल भारतीय संस्कृति और धर्म का अपितु भारत के अस्तित्व का भी एक अभिन्न अंग है। प्राचीन शास्त्रों में भारत के आकार को 'आसेतु - हिमाचल' कहा जाता है जिसका अर्थ है कि यह देश इस सेतु से हिमाचल तक फैला है। यदि सेतु वहाँ नहीं है तो भारत की पहचान का एक प्रतीक खो जाएगा।
यूपीए सरकार भारतीय संस्कृति के कई प्रतीकों/मानदंडों को नष्ट करने में लगी हुई है। यह बहुत दुर्भाग्यपूर्ण है और हास्यास्पद है कि 5 वर्ष पहले केंद्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में एक शपथ पत्र में कहा था कि राम ऐतिहासिक नहीं है। हालांकि यह जनाक्रोश का सामना करने पर वापस लिया गया था। इस तरह के अनावश्यक प्रश्न श्री राम जनम भूमि के संबंध में भी उठाये जाते रहे है।
विडंबना यह है कि रावण के देश यानी श्रीलंका की सरकार आधिकारिक तौर पर भगवान राम को ऐतिहासिक मानती है और उनसे संबंधित स्थानों की सुरक्षा/संरक्षित करती है और अपनी राम के देश की सरकार की सोच यह है। जब भारत प्रत्यक्ष विदेशी शासन के अधीन था, श्री राम और रामसेतु पर हमले का इस तरह प्रयास, नहीं किया गया था। जो बात 'अंग्रेज़ और औरंगजेब' करने के बारे में सोच भी नहीं सकता था, संप्रग सरकार करने पर तुली है।
यह सरकार का तर्क है कि 800 करोड़ खर्च किया जाने के बाद सेतु समुद्रम परियोजना को आगे बढ़ना चाहिए। ऐसा लगता है कि इस सरकार ने पैसे के लिए अपनी ईमानदारी और गरिमा को कम किया है। और अब पैसे केलिए भगवान राम तक को बेच देने का प्रयास कर रही है। सभ्यताओं की महिमा का प्रतीक पैसे के लिए नहीं बदलते हैं।

भाजपा का यह स्पष्ट मत है कि यदि वह सत्ता में आती है, यह पचौरी समिति की सिफारिशों को स्वीकार करेंगे। चाहे सेतु समुद्रम परियोजना के लिए एक वैकल्पिक मार्ग लिया जा सकता है या इस परियोजना को खत्म कर दिया जाना होगा हम किसी भी कीमत पर श्री रामसेतु का विध्वंस नहीं किया जाएगा क्योंकि यह 
करोड़ों हिंदुओं की आस्था से संबंधित एक मुद्दा है। श्री रामसेतु एक राष्ट्रीय स्मारक घोषित करने और इसे पाने के लिए संयुक्त राष्ट्र संघ द्वारा विश्व विरासत घोषित करने के लिए प्रयास करेंगे।

हिंदुत्व और अल्पसंख्यक:
हिंदुत्व:
हिंदुत्व एक मुद्दा है जिसके लिए भाजपा को अपने विरोधीयों द्वारा लक्षित किया जाता है।:
हिंदुत्व क्या है एक उदाहरण के द्वारा समझते हैं। अगस्त 2009 में प्रसिद्ध लेखक लिसा मिलर के एक लेख 'हम सब हिंदू हो रहे हैं' प्रतिष्ठित अंतरराष्ट्रीय पत्रिका न्यूज वीक में लिखा था।  यह इस लेख में लिखा गया है कि करोड़ों अमेरिकी लोग शाकाहारी भोजन, योग, ध्यान, हर्बल दवा की दिशा में तेजी से आकर्षित हो रहे हैं। और इतना ही नहीं इस लेख के अनुसार भगवान को पाने के, पूजा के एक से अधिक ढंग, विचार और मार्ग के प्रति आकर्षण, और पुनर्जन्म की स्वीकार्यता भी अमेरिका में बढ़ रही है। तो अनजाने में अमेरिका के लोगों में हिंदू मूल्यों के प्रति रुझान बढ़ रहे हैं। लेख से स्पष्ट है कि हिंदुत्व एक संप्रदाय नहीं है, यह जीवन की एक शैली है, जो किसी भी व्यक्ति जीवन के विभिन्न आयामों को प्रभावित करती है। 1995 में सुप्रीम कोर्ट ने भी अपने निर्णय में यह स्पष्ट कर दिया है कि हिंदुत्व न एक धर्म और न ही एक संप्रदाय है, अपितु एक जीवन शैली है।
दोस्तों, यह एक जीवन -शैली है, जिसमे न केवल भारत के लिए बल्कि पूरे विश्व के लिए शांति और अहिंसा का संदेश दिया गया है। यह जिसने विश्व को बुद्ध और गांधी दिया है। यह जीवन की शैली है कि जिसमे अकेले धर्म या मानव तो क्या, जीवित और निर्जीव प्राणियों में भी समान रूप से देवत्व देखते है। एकात्म मानववाद के रूप में पंडित दीनदयाल उपाध्याय द्वारा प्रतिपादित भी, जो हमारी राजनीतिक विचारधारा है, भारतीय संस्कृति के इन शाश्वत मूल्यों का समकालीन स्पष्टीकरण देती है।

हिंदुत्व और अल्पसंख्यक:
दोस्तों, हिंदुत्व यह जीवन की शैली है कि जिसके कारण विश्व में सभी धर्मो का अस्तित्व है। भारत विश्व में एकमात्र देश है जहां न केवल सभी धर्मों अपितु उनके सभी संप्रदायों के लोग पाए जाते हैं। मेरी जानकारी के अनुसार इस्लाम में 72 फिरके हैं। यहां 72 फिरके के अनुयायियों के लोग हैं। ईसाइयों के बीच न केवल रोमन कैथोलिक, प्रोटेस्टेंट, सातवें दिन धर्मान्तरण अपितु पूर्वी रूढ़िवादी और सीरियाई चर्च भी भारत में पाए जाते हैं। यदि पूरे विश्व में कोई जगह है जहां यहूदियों तो नहीं सताया गया यह भारत है। पारसी आज भारत में ही पाए जाते हैं। इसलिए भारत के इस मिश्रित समाज का आधार हिंदुत्व है और हम हमारी इसी विचारधारा से प्रेरणा ले कर आगे बदें।
 भारतीय जनता पार्टी ने समाज में धर्म और जाति के आधार पर कभी सौतेला व्यवहार नहीं किया है। इस धारणा से प्रेरित होने के नाते पार्टी के एक कार्यकर्त्ता के रूप में मैंने सदा मेरे मन में यह भाव रखा है। उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री के रूप में, जब मैंने मुख्यमंत्री निवास में समाज के विभिन्न वर्गों की पंचायतों का आयोजन किया तो मैंने अरबी और फारसी मदरसों की पंचायतों का भी आयोजन किया।
विश्व के ज्ञात इतिहास में एकमात्र देश है और यह जीवन की शैली है कि जिसके कारण भारत ने अन्य देशों पर जीत कर भारत में शामिल करने या केवल उन्हें दास बनाने की चाह में कभी आक्रमण नहीं किया। यह जीवन की शैली है जो किसी एक व्यक्ति को विश्व के देशों को जीतने के लिए प्रेरित नहीं करती है, अपितु लोगों के दिल को जीतने के लिए प्रेरित नहीं करती है। हिंदुत्व के संबंध में भाजपा की धारणा स्पष्ट है जो कि हमारे सम्माननीय अटल बिहारी वाजपेयी ने 1950 में एक युवा नेता के रूप में व्यक्त किया था।

"हो कर स्वतन्त्र मैने कब चाहा, मैं कर लूँ जग को गुलाम,
मैने तो सदा सिखाया है, करना अपने मन को गुलाम,
भू - भाग नही शत शत मानव के हृदय जीतने का निश्चय,
हिंदू तन -मन,  हिंदू जीवन, रग रग हिंदू मेरा परिचय। "

भारत के भविष्य के लिए केवल भाजपा क्यों ?:
दोस्तों, भारत युवाओं का एक देश है और 21 वीं सदी में हर युवा भारत को एक महान देश के रूप में देखना चाहता है। कांग्रेस का गठन आजादी के पहले 19 वीं सदी में अंग्रेजों द्वारा किया गया था और कांग्रेस ने 20 वीं सदी में अपने को चरम पर देखा, किन्तु भाजपा का यह गठन 20 वीं सदी में आजादी के बाद किया गया था और जब भारत ने 21 वीं सदी में प्रवेश किया अटल जी के नेतृत्व में भारत का नेतृत्व भाजपा के हाथ में था। दोस्तों, 20 वीं सदी कांग्रेस की थी और 21 वीं सदी  भाजपा की होगी।
हम सभी जानते हैं कि आजादी के बाद जब कांग्रेस सत्ता में आई तो इसने पराधीनता की सभी व्यवस्था को बनाये रखा है। भारत को कभी भी गुलाम मानसिकता से बाहर नहीं आने दिया है। हम हमारे राजनीतिक और आर्थिक दर्शन में कभी रूस और अन्य समय कभी अमेरिका की नकल करते रहे। अंग्रेजों की हम पर थोपी इस दास मानसिकता के कारण हमने अपनी पारंपरिक ज्ञान और विज्ञान की अनदेखी करना जारी रखा। आज विश्व भर में यह कहा जा रहा है कि भारत में विश्व की 'बौद्धिक पूंजी केंद्र' बनने की क्षमता है।परन्तु क्षमता के इस वास्तविक स्त्रोत को समझने की क्षमता केवल भाजपा में है।
मैं यह सब कुछ राजनीतिक पूर्वाग्रह के कारण नहीं, बल्कि तथ्यों के आधार पर कह रहा हूँ। आप सभी के हाथ में अपने मोबाइल फोन है और हम संचार क्रांति के युग में रह रहे हैं। यह सच है कि यह सब भारत ने पश्चिम से सीखा है। हमने यह सीखने के बाद विशेषज्ञता प्राप्त किया है, किन्तु विज्ञान और प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में हमने विश्व को क्या दिया है? हम विश्व के लिए एक नई तकनीक देने में सक्षम है ? मुझे विश्वास है कि हम पूरी तरह से ऐसा करने में सक्षम हैं। किन्तु आजादी के बाद भी एक लंबे समय तक सत्ता में होने के बाद मौलिक वैज्ञानिक अनुसंधान की दिशा में कांग्रेस ने कभी ध्यान नहीं दिया। और वास्तविकता यह है कि जो एक मौलिक वैज्ञानिक अनुसंधान पर ध्यान केंद्रित करता है, विश्व का नेतृत्व करता है। आज विश्व के सबसे शक्तिशाली देश अमेरिका, जो परमाणु बम की खोज करने के बाद एक महाशक्ति बन गया है।
भारत में भी कुछ इस तरह का करने की क्षमता है। दोस्तों, मैं भौतिकी का एक छात्र रहा हूँ तो मैं मौलिक भौतिकी में किये गये प्रयोग की ओर आपका ध्यान आकर्षित करना चाहता हूँ।
हम सभी जानते हैं कि मोबाइल से इंटरनेट और टीवी सभी डिजिटल सिग्नलों के आधार पर कार्य करते हैं। यह डिजिटल संकेत बनाना तब संभव हो गया, जब सौ साल पहले क्वांटम मैकेनिक्स की खोज की थी । क्वांटम मैकेनिक्स का उदगम जिस वर्नर हाइजेनबर्ग द्वारा प्रतिपादित  'अनिश्चितता के सिद्धांत' के माध्यम से हो पाया गया था, यदि हाइजेनबर्ग अनिश्चितता के सिद्धांत को प्रतिपादित नहीं करता, तब यह क्वांटम मैकेनिक्स नहीं आता जिससे वर्तमान संचार क्रांति आई, नहीं आ सकता था।
हाइजेनबर्ग ने अनिश्चितता का यह सिद्धांत इस देश के वैदिक दर्शन से सीखा। हाइजेनबर्ग 1929 में भारत आया और रवींद्र नाथ टैगोर से भेंट की थी। इस बैठक में उसने टैगोर के विभिन्न वैदिक दर्शन और सैद्धांतिक भौतिकी से संबंधित विषयों पर विचार - विमर्श किया। हाइजेनबर्ग के सहायक और ऑस्ट्रिया के वैज्ञानिक Fritj of Capra ने अपनी पुस्तक 'असामान्य बुद्धि' में कोई पृष्ठ 42-43 पर स्वयं लिखा है,"1929 में हाइजेनबर्ग ने प्रसिद्द भारतीय कवि रवीन्द्रनाथ टैगोर के अतिथि रूप में भारत में कुछ समय बिताया है। जिनके साथ उसने विज्ञान और भारतीय दर्शन के बारे में लंबी चर्चा की थी। भारतीय विज्ञान के इस परिचय से हाइजेनबर्ग ने दिव्य दृष्टि पाई। उसने मुझे बताया कि सापेक्षता, परस्पर जुडाव, मान्यता और भौतिक वास्तविकता के मुलभुत पक्षों, के रूप में नश्वरता, जो स्वयं के और उसके साथी के लिए इतना कठिन था, अनस्थिरता भौतिकविदों, भारतीय आध्यात्मिक परंपरा का आधार था, अब वह स्पष्ट होने लगे है।  ।उन्होंने कहा, 'कुछ विचार जो कि बुद्धि से परे लगते थे 'टैगोर के साथ इन वार्तालापों के बाद अचानक और अधिक विवेकमय लगने लगा। यह मेरे लिए एक बड़ा सहयोग था।
और यूरोप की सर्न प्रयोगशाला में गत वर्ष जुलाई में भगवान के कण को खोजा गया, जिनका वैज्ञानिक नाम हिग्स बोसॉन है। यह 21वीं सदी की सबसे बड़ी वैज्ञानिक खोज माना गया है। और यह कहा जा रहा है कि इस खोज से 21 वीं सदी के मानव जीवन में बड़ा परिवर्तन ला सकते हैं। एक समान सिद्धांत से प्रेरणा लेने के भारत के महान वैज्ञानिक सत्येन्द्र नाथ बोस के द्वारा 70-80 वर्ष पहले स्थापित किये गये आधार पर इस कण को खोजा गया था। इस कण के नाम में 'बोसॉन' शब्द सत्येन्द्र नाथ बोस के नाम से लिया गया है। एस.एन. बोस के बारे में यह कहा जाता है कि वह सदा ध्यान की अवस्था में रहते थे और जिससे वैज्ञानिक समस्याओं को तत्परता के साथ हल कर लेते थे। प्रसिद्ध वैज्ञानिक नील बोह्र ने भी बोस की इस क्षमता को स्वीकार किया था।
इसका अर्थ यह है कि आज के डिजिटल क्रांति का मूलभूत सिद्धांत हमारे पास था और भविष्य की क्रांति के मूलभूत सिद्धांत भी हमारे पास है। औपनिवेशिक मानसिकता के चलते बनी नीतियों के कारण हमने कभी 'विज्ञान के मूलभूत अनुसंधान' पर नहीं ध्यान दिया। और यह सोचने में भी हमें डर लगता है कि इन मौलिक शोध में हमारे पारंपरिक ज्ञान के आधार है।
जब हम सत्ता में आयेंगे तो हम मौलिक विज्ञान और भारतीय विज्ञान में अनुसंधान को बढ़ावा देंगे। हम मौलिक विज्ञान और अनुसंधान के क्षेत्र में हमारे पारंपरिक ज्ञान के वैज्ञानिक पक्ष के अनुसंधान को भी बढ़ावा देंगे।  21वीं सदी में विश्व का नेतृत्व करने की भारतीय क्षमता केवल तब सामने आयागी, जब मौलिक विज्ञान और मूलभूत प्रौद्योगिकी हमारे अपने होगे।
हम मौलिक विज्ञान में अनुसंधान के द्वारा नए स्वदेशी प्रौद्योगिकी निर्माण कर सकते हैं। रक्षा के क्षेत्र में हम इस तकनीक के माध्यम से हथियार बनाने में आत्मनिर्भर बन सकते है।  इसलिए हमारी वरीयता अन्य रक्षा उपकरणों के क्षेत्र में आत्मनिर्भर बनना होगा। यह रक्षा को सुदृद बनाने के साथ और करोड़ों डॉलर की  बचत के लिए होगा।
हम कहने का अर्थ यह है कि विश्व को भारत के योगदान के रूप में देखे जा रहे, आयुर्वेद योग और पर्यावरण संरक्षण तो है। गणित और विज्ञान के क्षेत्र में भी विश्व को नै खोजें देने की क्षमता भारत के पारंपरिक ज्ञान के है गुलामी के काल में हम भूल गए थे।
गुलामी के काल में गठित कांग्रेस, उस गुलामी मानसिकता से बाहर आने में असफल रही है। इसलिए विश्व स्तर पर भारत की वास्तविक क्षमता स्थापित करने का आत्म विश्वास कांग्रेस में कभी था ही नहीं।
मैं आपको विश्वास दिलाता हूं कि यदि हम सत्ता में आते हैं तो भाजपा के पास वह दृष्टी है जो उसे विश्व के बौद्धिक पूंजी का केंद्र और उससे भी आगे यह भारत को फिर से जगतगुरू स्थापित कर सकते हैं।

वैकल्पिक अर्थव्यवस्था:
हम सभी ने 20 वीं सदी के अंतिम दशक में साम्यवाद का पतन देखा है और 21वीं सदी के प्रथम दशक में  पूंजीवाद हीनता है आज इस सदी में ही विश्व को एक नई वैकल्पिक अर्थव्यवस्था की आवश्यकता है। उस विकल्प का आधार केवल भारत के पास है। हमें यह समझने की आवश्यकता है। इस विकल्प के आधार भारत द्वारा विश्व के इतिहास में दी गई दो सबसे बड़ी विरासत, भगवान बुद्ध और महात्मा गांधी के विचारों में निहित है। जबकि बुद्ध ने कहा 'सम्यक विचार' और 'सम्यक कर्म' अर्थात बुद्ध के राजनीतिक और आर्थिक दर्शन मध्य मार्ग का है। कि किसी भी विचार के चरम दृश्य में नहीं ले जाना है -चाहे वह पूंजीवाद या साम्यवाद है। पं दीनदयाल उपाध्याय व दत्तोपंत ठेंगडी के आर्थिक दर्शन का आधार भी यही था।
पश्चिम उन्मुख विकास के दोष में केवल भारत नहीं बल्कि विश्व विभिन्न जटिल समस्याओं से घिरा।

उपभोक्तावाद के अतिरेक से बचते है, बचने की उपयुक्त प्रवृति को बढ़ाते प्रकृति के साथ संतुलन बनाते हुए, सामाजिक दायित्वों का निर्वाह करते हुए, हमारे नैतिक मूल्यों की रक्षा करने वाली एक नई स्वदेशी अर्थव्यवस्था हमारे आर्थिक विकास का वैकल्पिक प्रारूप होगा। यह वैश्वीकरण का विरोध नहीं होगा, किन्तु उसके दोषों को सुधारने का प्रयास होगा और पूरे विश्व को एक नई दिशा देने के लिए काम करेंगा।

तो 21वीं सदी के लिए भाजपा की दृष्टि है: 
** वैकल्पिक प्रारूप व्यय नहीं बचत के आधार पर वैकल्पिक आर्थिक विकास
** मौलिक विज्ञान में अनुसंधान
** आत्मनिर्भर रक्षा उत्पादन
** पारंपरिक भारतीय ज्ञान में अनुसंधान (जैसे जैविक खेती एवं आयुर्वेद)
** 'भारत को विश्व की बौद्धिक एवं कृषि राजधानी बनाने के लिए
** तब यह गरीबी और बेरोजगारी उन्मूलन के साथ भारत विश्व में एक शक्तिशाली देश के रूप में उभरेगा। ** भारत को मानव जीवन के उच्चतम मूल्यों के जिन प्रतीकों के लिए भगवान राम, कृष्ण भगवान से लेकर बुद्ध और महात्मा गांधी के रूप में जाना जाता है, उन को स्थापित किया जाएगा।

और भी हैं... इक्कीसवीं शताब्दी हमारी होगी: भाजपा राष्ट्रीय परिषद की बैठक 2 -3, मार्च 2013 , पूरा पदें http://yuvaadarpan.blogspot.in/2013/03/blog-post.html
http://raashtradarpan.blogspot.in/2013/03/blog-post.html

मान्यता धरोहर ज्ञान विज्ञान शैली: ये ब्लाग देखें
धर्म संस्कृति:- http://www.dharmsanskrutidarpan.blogspot.com/ 
ज्ञान विज्ञान:- http://www.gyaanvigyaandarpan.blogspot.com/ 
जीवन शैली:- http://www.jeevanshailydarpan.blogspot.com/ 

पर्यटनधरोहर:- http://www.paryatandharohardarpan.blogspot.com/

आर्थिक संकल्प मुद्रास्फीति की दर और भ्रष्टाचार यूपीए सरकार की पहचान । पूरा पदें, 
सम्बद्ध वीडियो देखें :
1) http://www.youtube.com/watch?feature=player_embedded&v=-xhUX3Moubc
2) http://www.youtube.com/watch?feature=player_embedded&v=GCHwfRKsFIw#!
3) http://www.youtube.com/watch?feature=player_embedded&v=3DR3WO0EfPg
4) 
राजनैतिक प्रस्ताव यूपीए प्रधानमंत्री रूप में डा. मनमोहन सिंह के और श्रीमती सोनिया गांधी के नेतृत्व में अनियंत्रित भ्रष्टाचार को परिभाषित यूपीए सरकार। पूरा पदें, वीडियो 
1) http://www.youtube.com/watch?feature=player_embedded&v=EkoSiWy2YNY
2) http://www.bjp.org/index.php?option=com_content&view=article&id=8598:points-made-shri-m-venkaiah-naidu-while-intervening-in-debate-on-political-resolution&catid=68:press-releases&Itemid=494

आर्थिक प्रस्ताव पूरा पदें,/ 
वीडियो https://www.youtube.com/playlist?list=PL8Z1OKiWzyBH5cYSl-5k2QwQ-UT5oyRRH
राजनैतिक प्रस्ताव पूरा पदें,/ 
वीडियो https://www.youtube.com/watch?v=CiK-iG_mFL4&list=PL07E4C2D4718D3CC6&index=52

विश्वगुरु रहा वो भारत, इंडिया के पीछे कहीं खो गया | इंडिया से भारत बनकर ही, विश्व गुरु बन सकता है; - तिलक
कभी ज्ञान विज्ञान से विश्वगुरु भारत की, स्वर्ण युग की उस शक्ति को पहचान देगा; ज्ञान -विज्ञान दर्पण | आओ, मिलकर इसे बनायें; - तिलक

Wednesday, December 26, 2012

अंग्रेजी का नव वर्ष, भले ही मनाएं

अंग्रेजी का नव वर्ष, भले ही मनाएं

हिंदी, Bangla, Tamil, Telugu, malmkannad, Odiya, Gujrati, Gumu, Eng... 

 "अंग्रेजी का नव वर्ष, भले ही मनाएं; 
(गुलामी के संकेत/हस्ताक्षर, जो मनाना चाहें)
उमंग उत्साह, चाहे जितना दिखाएँ; 
चैत्र के नव रात्रे, जब जब भी आयें
घर घर सजाएँ, उमंग के दीपक जलाएं; 
आनंद से, ब्रह्माण्ड तक को महकाएं; 
विश्व में, भारत का गौरव बढाएं " 
जनवरी 2013, ही क्यों ? वर्ष के 365 दिन ही मंगलमय हों, 
भारत भ्रष्टाचार व आतंकवाद से मुक्त हो, 
हम अपने आदर्श व संस्कृति को पुनर्प्रतिष्ठित कर सकें ! 
इन्ही शुभकामनाओं के साथ, भवदीय.. तिलक 
संपादक युगदर्पण राष्ट्रीय साप्ताहिक हिंदी समाचार-पत्र. YDMS 09911111611. 

Bangla... 

 অংগ্রেজী কা নব বর্ষ, ভলে হী মনাএং 

 "অংগ্রেজী কা নব বর্ষ, ভলে হী মনাএং; (দাসত্ব সংকেত / সাইন, যা তুষ্ট হতে পারে) উমংগ উত্সাহ, চাহে জিতনা দিখাএঁ; চৈত্র কে নব রাত্রে, জব জব ভী আযেং; ঘর ঘর সজাএঁ, উমংগ কে দীপক জলাএং; আনংদ সে, ব্রহ্মাণ্ড তক কো মহকাএং; বিশ্ব মেং, ভারত কা গৌরব বঢাএং "জানুয়ারি 1, 2013,হী কেন ? বর্ষ কে 365 দিন হী মংগলময হোং, ভারত ভ্রষ্টাচার ব আতংকবাদ সে মুক্ত হো, হম অপনে আদর্শ ব সংস্কৃতি কো পুনর্প্রতিষ্ঠিত কর সকেং ! ইন্হী শুভকামনাওং কে সাথ, ভবদীয.. তিলক সংপাদক যুগদর্পণ রাষ্ট্রীয সাপ্তাহিক হিংদী সমাচার-পত্র. YDMS 09911111611. 
Tamil... "அங்க்றேழி கா நவ்வர்ஷ், பாளே ஹாய் மணாஎன்"
 "அங்க்றேழி கா நவ்வர்ஷ், பாளே ஹாய் மணாஎன்; (மயக்க இது அடிமைத்தன சமிக்ஞை / அடையாளம்,) உமங்க் உட்சாஹ், சாஹெ சித்னா டிக்ஹாஎன்; செட்ர் கே நவ்ராற்றே, ஜப் ஜப் பீ ஆயேன்; கர் கர் சஜாயேன், உமாங் கே தீபக் ஜலாயேன்; ஆனந்த சே, பிராமாந்து தக் கோ மஹ்காயென்; விஷ்வ மீ, பாரத் கா கௌரவ் படாஎன். "ஜனவரி 1, 2013, ஏன்ஒரே ஒரு? வ வர்ஷ் கே 365 டின் ஹாய் மங்கலமாய் ஹோண், பாரத் பிராஷ்டாச்சர் வ ஆடன்க்வாத் சே முகத் ஹோ, ஹம அப்னே ஆதர்ஷ் வ சன்ச்க்ருடி கோ புன்ர்ப்ரடிஷ்திட் கற் சகேன் ! இன்ஹி சுபா காமனாஒன் கே சாத், பாவ்டிய.. திலக் சம்பாடக் யுக டர்பன் ராஷ்ட்ரிய சப்டாஹிக் ஹிந்தி சமாச்சார்-பற்ற. YDMS 09911111611.
 Eng.  "One may celebrate even English New Year, (Slavery signal / sign, you may coax) with exaltation and excitement; Chaitra Nav Ratre whenever it comes; decorate house, enlighten with lamps of exaltation; enjoy, even enrich the universe with Happiness; Increase the India's pride in the world, Why January 1, 2013, alone ? All the 365 days of the year are Auspicious, May India be free of corruption and terrorism, we can ReEstablish Ideals, values and culture ! with these good wishes, Sincerely .. Tilak editor YugDarpan Hindi national weekly newspaper. YDMS 09,911,111,611.
 Odiya ..not getting ? 
 "Angrejee kaa nav-varsh, bhale hi manaayen; (Gulaami ke sanket /  , jo  manana  chahen ? umang utsaah, chaahe jitnaa dikhaayen; chetr ke nav-raatre, jab jab bhi aayen; ghar ghar sajaayen, umang ke deepak jalaayen; Aanand se, brahmaand tak ko mahkaayen; Vishva me, Bhaarat kaa gaurav badaayen." matr 1 Jan 2013, hi kyon ? varsh ke 365 din hi mangalmay hon, Bhaarat bhrashtaachar v aatankvaad se mukt ho, ham apne aadarsh v sanskruti ko punrpratishthit kar saken ! inhi shubhakaamanaaon ke saath, bhavdiya.. Tilak Sampaadak Yug Darpan Raashtriya Saptaahik Hindi Samaachar-Patra. YDMS 09911111611.
 Telugu "అంగ్రేజీ కా నవ్వర్ష్, భలే హాయ్ మనాఎన్; 
"అంగ్రేజీ కా నవ్వర్ష్, భలే హాయ్ మనాఎన్; (పొగడ్తలు ఇది బానిసత్వం సిగ్నల్ / గుర్తు) ఉమంగ్ ఉత్సః, చాహే జితనా దిఖాఎన్; చేతర్ కె నవరాత్రు, జబ జబ భి ఆయెన్; ఘర్ ఘర్ సజాఎన్, ఉమంగ్ కె దీపక్ జలాఎన్; ఆనంద్ సే, బ్రహ్మాండ్ తక కో మహ్కాఎన్; విశ్వ మే, భారత్ కా గౌరవ్ బదాఎన్. " జనవరి 1, 2013, ఎందుకు మాత్రమే  వ వర్ష కె 365 దిన్ హాయ్ మంగల్మి హాన్, భారత్ భ్రష్టాచార్ వ ఆటన్క్వాద్ సే ముక్త  హో, హం అపనే ఆదర్శ్ వ సంస్కృతి కో పున్ర్ప్రతిశ్తిట్ కర్ సకేన్ ! ఇంహి శుభాకామనావున్ కె సాత్, భవదీయ.. తిలక్ సంపాదక్ యుగ దర్పన్ రాష్ట్రీయ సప్తాహిక్ హిందీ సమాచార్-పాత్ర. YDMS 09911111611.
 Gujrati અંગ્રેઝી કા નવવર્ષ, ભલે હી માંનાયેન; 
"અંગ્રેઝી કા નવવર્ષ, ભલે હી માંનાયેન; (સ્લેવરી સિગ્નલ / સાઇન છે, કે જે મનાવવું શકે છે) ઉમંગ ઉત્સાહ, ચાહે જીતના દીખાયેન; ચેત્ર કે નવરાત્રે, જબ જબ ભી આયેન; ઘર ઘર સજાયેન, ઉમંગ કે દિપક જલાયેન; આનંદ સે, બ્રહ્માંડ તક કો મહ્કાયેન; વિશ્વ મેં, ભારત કા ગૌરવ  બદાયેન. "માત્ર જાન્યુઆરી 1, 2013, શા માટે? વર્ષ કે 365 દિન હી મંગલમય હોં, ભારત ભ્રષ્ટાચાર વ આતંકવાદ સે મુક્ત હો, હમ અપને આદર્શ વ સંસ્કૃતિ કો પુન્ર્પ્રતીશ્થીત કર સકેં ! ઇન્હી શુભકામનાઓન કે સાથ, ભવદીય.. તિલક સંપાદક યુગ દર્પણ રાષ્ટ્રીય સાપ્તાહિક હિન્દી સમાચાર -પત્ર.YDMS 09911111611.
 kannad "ಆಂಗ್ರೆಶಿ ಕಾ ನವ -ವರ್ಷ, ಭಲೇ ಹಿ ಮನಾಯೇನ್; 
"ಆಂಗ್ರೆಶಿ ಕಾ ನವ -ವರ್ಷ, ಭಲೇ ಹಿ ಮನಾಯೇನ್; (ಏಕಾಕ್ಷ ಇದು ಗುಲಾಮಗಿರಿ ಸಂಕೇತ / ಸೈನ್) ಉಮಂಗ್ ಉತ್ಸಃ, ಚಾಹೆ ಜಿತನಾ ದಿಖಾಯೇನ್; ಚೆತ್ರ್ ಕೆ ನವ್ರಾತ್ರೆ, ಜಬ್ ಜಬ್ ಭಿ ಆಯೇನ್; ಘರ್ ಘರ್ ಸಜಾಯೇನ್, ಉಮಂಗ್ ಕೆ ದೀಪಕ್ ಜಲಾಯೇನ್; ಆನಂದ್ ಸೆ, ಬ್ರಹ್ಮಾಂದ್ ತಕ ಕೊ ಮಹ್ಕಾಯೇನ್; ವಿಶ್ವ ಮೇ, ಭಾರತ ಕಾ ಗೌರವ್ ಬದಾಯೇನ್. "ಜನವರಿ 1, 2013, ಏಕೆ ಮಾತ್ರ ವ ವರ್ಷ ಕೆ 365 ದೀನ್ ಹಿ ಮಂಗಲ್ಮಿ ಹೊಂ, ಭಾರತ ಭ್ರಷ್ತಾಚರ್ ವ ಆತಂಕ್ವಾದ್ ಸೆ ಮುಕ್ತ ಹೊ, ಹಮ್ ಅಪನೇ ಆದರ್ಶ್ ವ ಸಂಸ್ಕೃತಿ ಕೊ ಪುನ್ರ್ಪ್ರತಿಷ್ಟ್ಹತ್  ಕರ್  ಸಕೆನ್ ! ಇನ್ಹಿ ಶುಭಕಾಮನಾಒನ್ ಕೆ ಸಾಥ್, ಭಾವ್ದಿಯ.. ತಿಲಕ್ ಸಂಪಾಡಕ್ ಯುಗ ದರ್ಪಣ್ ರಾಷ್ಟ್ರೀಯ ಸಪ್ತಾಹಿಕ್ ಹಿಂದಿ ಸಮಾಚಾರ್ -ಪತ್ರ . YDMS 09911111611.
 Gumu. "ਅੰਗ੍ਰੇਜੀ ਦਾ ਨਵਾਂ ਵਰਸ਼ ਭਲੇ ਹੀ ਮਨਾਓ
"ਅੰਗ੍ਰੇਜੀ ਦਾ ਨਵਾਂ ਵਰਸ਼ ਭਲੇ ਹੀ ਮਨਾਓ, ਗੁਲਾਮੀ ਦਾ ਪ੍ਰਤੀਕ /ਸੰਕੇਤ, ਉਮੰਗ ਉਤਸਾਹ ਚਾਹੇ ਜਿਤਨਾ ਦਿਖਾਓ; ਚੇਤਰ ਦੇ ਨਵਰਾਤਰੇ ਜਦ ਜਦ ਵੀ ਆਉਣ; ਘਰ ਘਰ ਸਜਾਓ, ਉਮੰਗ ਦੇ ਦੀਪਕ ਜਲਾਓ; ਆਨਾਨਾਦ ਨਾ ਬ੍ਰਹ੍ਮਾੰਡ ਨੂ ਮਹ੍ਕਾਓ, ਵਿਸ਼ਵ ਵਿਚ, ਭਾਰਤ ਦਾ ਗ਼ੋਰਾਵ ਵਧਾਓ. "1 ਜਨ. 2013 ਹ ਕਯੋਂ ? ਵ ਵਰ੍ਸ਼ ਦੇ 365 ਦਿਨ ਹੀ ਮੰਗਲ ਮਯ ਹੋਣ, ਭ੍ਰਸ਼੍ਟਾਚਾਰ ਤੇ ਆਤੰਕ ਵਾਦ ਤੋਂ ਭਾਰਤ ਮੁਕਤ ਹੋਵੇ, ਅਸਾਂ ਆਪਣੇ ਆਦਰ੍ਸ਼ ਤੇ ਸੰਸਕ੍ਰਿਤਿ ਨੂੰ ਫੇਰ ਸ੍ਥਾਪਿਤ ਕਰ ਸਕਿਏ ! ਇਨਹਾਂ ਸ਼ੁਭ ਕਾਮਨਾਵਾਂ ਦੇ ਨਾਲ, ਆਪਦਾ.. ਤਿਲਕ -ਸੰਪਾਦਕ ਯੁਗ ਦਰ੍ਪਣ, ਰਾਸ਼੍ਟ੍ਰੀਯ ਸਾਪ੍ਤਾਹਿਕ ਸਮਾਚਾਰ ਪਤ੍ਰ. YDMS 09911111611.
 malm "അന്ഗ്രെജീ  കാ  നവ വര്‍ഷ, ഭലേ ഹി മനായേന്‍; 
"അന്ഗ്രെജീ  കാ  നവ വര്‍ഷ, ഭലേ ഹി മനായേന്‍; (ഗുലാമി ക പ്രറ്റീക്/സന്കെറ്റ്, ജോ മനന ചാഹെ) ഉമന്ഗ് ഉറ്റ്സാഹ്, ചാഹെ ജിതനാ ദിഖയെന്‍; ചേട്ര്‍ കെ നവ്രട്രെ, ജബ് ജബ് ഭീ ആയെന്‍; ഘര്‍ ഘര്‍ സജായെന്‍, ഉമന്ഗ് കെ ദീപക് ജലായെന്‍; ആനന്ദ് സെ, ബ്രഹ്മാന്ദ് ടാക് കോ മഹാകായെന്‍; വിശ്വ് മി, ഭാരത കാ ഗൌരവ് ബടായെന്‍. "ഐ ജന. 2013 ഹി ക്യോന്‍? വ വര്‍ഷ കെ 365 ദിന്‍ ഹി മങ്ങല്‍മി ഹോണ്‍, ഭാരത ഭ്രാഷ്ടാചാര്‍ വ ആടങ്ക്വാദ് സെ മുക്റ്റ് ഹോ, ഹാം അപ്നെ ആദര്‍ശ് വ സന്സ്ക്രുടി കോ പുന്ര്പ്രടിശ്തിറ്റ് കാര്‍ സകെന്‍ ! ഇന്ഹി ശുഭ കാമ്നാഒന്‌ കെ സാത്, ഭവദീയ.. തിളക് സംപാടാക് യുഗ്ദാര്പന്‍ രാഷ്ട്രീയ ഹിന്ദി സമാചാര്‍ പടര്‍. YDMS 09911111611.

पत्रकारिता व्यवसाय नहीं एक मिशन है| -युगदर्पण
कभी ज्ञान विज्ञान से विश्वगुरु भारत की, स्वर्ण युग की उस शक्ति को पहचान देगा; ज्ञान -विज्ञान दर्पण | आओ, मिलकर इसे बनायें; - तिलक

Saturday, December 22, 2012

गीता जयन्ती 23 से 25 /12/12

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izfrfuf/k lHkk fnYyh ds egkea=h Jh Hkw"k.k yky ikjk’kj us crk;k fd xhrk t;arh ds miy{k esa fnYyh ds 1500 ls vf/kd fo/kkfFkZ;ksa us fnYyh esa 20 LFkkuksa ij vk;ksftr xhrk Kku izfr;ksfxrkvksa esa izfrHkkxh cudj vkxkeh ih<+h ds fy, lqlaLdkj dk ekxZ iz’kLr fd;k gSA mijksDr lHkh dk;ZØeksa esa fnYyh ds lHkh eafnjksa dh izcU/k lfefr;ksa dks vkeaf=r fd;k x;k gSA
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कभी विश्व गुरु रहे भारत की, धर्म संस्कृति की पताका; विश्व के कल्याण हेतू पुनः नभ में फहराये | - तिलक
कभी ज्ञान विज्ञान से विश्वगुरु भारत की, स्वर्ण युग की उस शक्ति को पहचान देगा; ज्ञान -विज्ञान दर्पण | आओ, मिलकर इसे बनायें; - तिलक

Thursday, November 29, 2012

ज्ञान विज्ञान की जन्मभूमि व तेज भारत में था

ज्ञान विज्ञान की जन्मभूमि व तेज भारत में था

 भा रत और भारत के लोगों के बारे में एक धारणा विश्व में बनाई गई कि भारत जादू-टोना और अंधविश्वासों का देश है। अज्ञानियों का राष्ट्र है। भारत के निवासियों की कोई वैज्ञानिक दृष्टि नहीं रही, न ही विज्ञान के क्षेत्र में कोई योगदान है। 
भारत के संदर्भ में यह प्रचार  (BrainWash) विचार रिवर्तन लंबे समय से आज तक चला आ रहा है। रिणाम यह हुआ कि अधिकतर भारतवासियों के अंतर्मन में यह बात अच्छे से बैठ गई कि विज्ञान यूरोप की देन है। विज्ञान का सूर्य पश्चिम में ही उगा था, उसी के प्रकाश से संपूर्ण विश्व प्रकाशमान है। 
इसका दुष्परिणाम यह हुआ कि आज हम हर बात में पश्चिम के पिछलग्गू हो गए हैं क्योंकि हम पश्चिम की सोच को वैज्ञानिक सम्मत मानते हैं, भारत की नहीं। पश्चिम ने जो सोचा है, अपनाया है वह मानव जाति के लिए उचित ही होगा। इसलिए हमें भी उसका अनुकरण करना चाहिए। 
भारत में योग पश्चिम से योगा होकर आया, तो जमकर अपनाया गया। आयुर्वेद की चिकित्सा पद्धति को हटाकर एलोपैथी के व्यवसाय को अपनाया लोगों की आंखें तब खुली, जब आयुर्वेद पश्चिम से हर्बल का लेवल लगाकर आया। भारत में विज्ञान को लेकर जो वातावरण निर्मित हुआ उसके लिए हमारे देश के कर्णधार व नकी नीतियाँ ही जिम्मेदार हैं। जिन्होंने भी शोध और विमर्श के बाद भी, भारतीय शिक्षा व्यवस्था में, भारत में विज्ञान की उज्ज्वल परंपरा को शामिल नहीं किया। भारत के छात्रों का क्या दोष, जब उन्हें पढ़ाया ही नहीं जाएगा; तो उन्हें कहां से मालूम चलेगा कि भारत में विज्ञान का स्तर कितना उन्नत था। 
    विज्ञान और तकनीकी मात्र पश्चिम की देन है या भारत में भी इसकी कोई परंपरा थी? भारत में किन-किन क्षेत्रों में वैज्ञानिक विकास हुआ था? विज्ञान और तकनीकी के अंतिम उद्देश्य को लेकर क्या भारत में कोई विज्ञानदृष्टि थी? और यदि थी तो आज की विज्ञानदृष्टि से उसकी विशेषता क्या थी? आज विश्व के सामने विज्ञान एवं तकनीक के विकास के साथ जो समस्याएं खड़ी हैं; उनका समाधान क्या भारतीय विज्ञान दृष्टि में है? ऊपर के पैरे को पढ़कर निश्चित तौर पर हर किसी के मन में यही प्रश्न हिलोरे मारेंगे तो इनके उत्तर के लिए 'भारत में विज्ञान की उज्ज्वल परंपरा' पुस्तक पढऩी चाहिए। 
राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के प्रचारक सुरेश सोनी की इस पुस्तक में भी प्रश्न के उत्तर   निहित हैं। पुस्तक में कुल इक्कीस अध्याय हैं। धातु विज्ञान, विमान विद्या, गणित, काल गणना, खगोल विज्ञान, रसायन शास्त्र, वनस्पति शास्त्र, प्राणि शास्त्र, कृषि विज्ञान, स्वास्थ्य विज्ञान, ध्वनि और वाणी विज्ञान, लिपि विज्ञान सहित विज्ञान के अन्य क्षेत्रों में भारत का क्या योगदान रहा; इसकी विस्तृत चर्चा, प्रमाण सहित पुस्तक में की गई है। यही नहीं, यह भी स्पष्ट किया गया है कि विज्ञान को लेकर पश्चिम और भारतीय धारणा में कितना अंतर है। जहां पश्चिम की धारणा उपभोग की है, जिसके नतीजे आगे चलकर विध्वंसक के रूप में सामने आते हैं। वहीं भारतीय धारणा लोक कल्याण की है। 
सुरेश सोनी मनोगत में लिखते हैं कि आचार्य प्रफुल्लचंद्र राय की 'हिन्दू केमेस्ट्री', ब्रजेन्द्रनाथ सील की 'दी पॉजेटिव सायन्स ऑफ एन्शीयन्ट हिन्दूज', राव साहब वझे की 'हिन्दी शिल्प मात्र' और धर्मपालजी की 'इण्डियन सायन्स एण्ड टेकनोलॉजी इन दी एटीन्थ सेंचुरी' में भारत में विज्ञान व तकनीकी परंपराओं को प्रमाणों के साथ उद्घाटित किया गया है। वर्तमान में संस्कृत भारती ने संस्कृत में विज्ञान और वनस्पति विज्ञान, भौतिकी, धातुकर्म, मशीनों, रसायन शास्त्र आदि विषयों पर कई पुस्तकें निकालकर इस विषय को आगे बढ़ाया। बेंगलूरु के एमपी राव ने विमानशास्त्र व वाराणसी के पीजी डोंगरे ने अंशबोधिनी पर विशेष रूप से प्रयोग किए। डॉ. मुरली मनोहर जोशी के लेखों, व्याख्यानों में प्राचीन भारतीय विज्ञान परंपरा को प्रभावी रूप से प्रस्तुत किया गया है।
    भारत में विज्ञान की क्या दशा और दिशा थी, उसको समझने के लिए आज भी वे ग्रंथ उपलब्ध हैं, जिनकी रचना के लिए वैज्ञानिक ऋषियों ने अपना जीवन खपया। वर्तमान में आवश्यकता है कि उनका अध्ययन हो, विश्लेषण हो और प्रयोग किए जाएं। जबकि कई विद्याएं जानने वालों के साथ ही लुप्त हो गईं, क्योंकि हमारे यहां मान्यता रही कि अनधिकारी के हाथ में विद्या नहीं जानी चाहिए। विज्ञान के संबंध में अनेक ग्रंथ थे, जिनमें से कई आज लुप्त हो गए हैं। जबकि आज भी लाखों पांडुलिपियां बिखरी पड़ी हैं। भृगु, वशिष्ठ, भारद्वाज, आत्रि, गर्ग, शौनक, शुक्र, नारद, चाक्रायण, धुंडीनाथ, नंदीश, काश्यप, अगस्त्य, परशुराम, द्रोण, दीर्घतमस, कणाद, चरक, धनंवतरी, सुश्रुत पाणिनि और पतंजलि आदि ऐसे नाम हैं; जिन्होंने विमान विद्या, नक्षत्र विज्ञान, रसायन विज्ञान, अस्त्र-शस्त्र रचना, जहाज निर्माण और जीवन के सभी क्षेत्रों में काम किया। अगस्त्य ऋषि की संहिता के उपलब्ध कुछ पन्नों को अध्ययन कर नागपुर के संस्कृत के विद्वान डॉ. एससी सहस्त्रबुद्धे को मालूम हुआ कि उन पन्नों पर इलेक्ट्रिक सेल बनाने की विधि थी। महर्षि भरद्वाज रचित विमान शास्त्र में अनेक यंत्रों का वर्णन है। नासा में काम कर रहे वैज्ञानिक ने सन् १९७३ में इस शास्त्र को भारत से मंगाया था। इतना ही नहीं, राजा भोज के समरांगण सूत्रधार का 31वें अध्याय में अनेक यंत्रों का वर्णन है। लकड़ी के वायुयान, यांत्रिक दरबान और सिपाही (रोबोट की तरह)। चरक संहिता, सुश्रुत संहिता में चिकित्सा की उन्नत पद्धितियों का विस्तार से वर्णन है। यहां तक कि सुश्रुत ने तो आठ प्रकार की शल्य क्रियाओं का वर्णन किया है। सृष्टि का रहस्य जानने के लिए आज जो महाप्रयोग चल रहा है, उसकी नींव भी भारतीय वैज्ञानिक ने रखी थी। सत्येन्द्रनाथ बोस के फोटोन कणों के व्यवहार पर गणितीय व्याख्या के आधार पर, ऐसे कणों को बोसोन नाम दिया गया है। 
    भारत में सदैव से विज्ञान की धारा बहती रही है। बीच में कुछ बाह्य आक्रमणों के कारण कुछ गड़बड़ अवश्य हुई लेकिन यह धारा अवरुद्ध नहीं हुई। 'भारत में विज्ञान की उज्ज्वल परंपरा' एक ऐसी पुस्तक है, जो भारत के युवाओं को अवश्य पढऩी चाहिए।

पुस्तक : भारत में विज्ञान की उज्ज्वल परंपरा
मूल्य : ६० रुपए
लेखक : सुरेश सोनी
प्रकाशक : अर्चना प्रकाशन
१७, दीनदयाल परिसर, ई/२ महावीर नगर,
भोपाल-४६२०१६, दूरभाष - (०७५५) २४६६८६५
कभी ज्ञान विज्ञान से विश्वगुरु भारत की, स्वर्ण युग की उस शक्ति को
पहचान देगा; ज्ञान -विज्ञान दर्पण | आओ, मिलकर इसे बनायें; - तिलक