कभी ज्ञान विज्ञान से विश्व गुरु बना भारत आज विश्व पिच्छलग्गू बन चुका हैहनुमान की भांति जब निज विस्मृति (lostMemory) से बाहर आयेगा, वैदिक ज्ञान की आभा (glory) पहचानेगा,चमकाएगा तब तक केवल नारे से भ्रमायेगा स्वर्ण युग की उस शक्ति को पहचान देगा ज्ञानविज्ञान दर्पण तिलक (Join us to Build StrongBHARAT निस्संकोच ब्लॉग पर टिप्पणी/अनुसरण/ निशुल्क सदस्यता व yugdarpan पर इमेल/चैट करें, संपर्कसूत्र-तिलक संपादक युगदर्पण मीडिया समूह YDMS 09911111611, 9999777358.

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बिकाऊ मीडिया -व हमारा भविष्य

: : : क्या आप मानते हैं कि अपराध का महिमामंडन करते अश्लील, नकारात्मक 40 पृष्ठ के रद्दी समाचार; जिन्हे शीर्षक देख रद्दी में डाला जाता है। हमारी सोच, पठनीयता, चरित्र, चिंतन सहित भविष्य को नकारात्मकता देते हैं। फिर उसे केवल इसलिए लिया जाये, कि 40 पृष्ठ की रद्दी से क्रय मूल्य निकल आयेगा ? कभी इसका विचार किया है कि यह सब इस देश या हमारा अपना भविष्य रद्दी करता है? इसका एक ही विकल्प -सार्थक, सटीक, सुघड़, सुस्पष्ट व सकारात्मक राष्ट्रवादी मीडिया, YDMS, आइयें, इस के लिये संकल्प लें: शर्मनिरपेक्ष मैकालेवादी बिकाऊ मीडिया द्वारा समाज को भटकने से रोकें; जागते रहो, जगाते रहो।।: : नकारात्मक मीडिया के सकारात्मक विकल्प का सार्थक संकल्प - (विविध विषयों के 28 ब्लाग, 5 चेनल व अन्य सूत्र) की एक वैश्विक पहचान है। आप चाहें तो आप भी बन सकते हैं, इसके समर्थक, योगदानकर्ता, प्रचारक,Be a member -Supporter, contributor, promotional Team, युगदर्पण मीडिया समूह संपादक - तिलक.धन्यवाद YDMS. 9911111611: :
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Saturday, October 22, 2022

*ज्योतिष शास्त्र/रत्न शास्त्र- माणिक्य और उसका विकल्प?* 

*युदस नदि 22, अक्टू 2022;* 

हाथ में यदि सूर्य का बहुमुल्य रत्न माणिक्य नहीं पहन सकते तो हाथ में बांध लें, इस पेड़ की जड़, सूर्य देव की कृपा से चमक सकता है भाग्य।
रत्न शास्त्र अनुसार बेल के पेड़ की जड़ का संबंध सूर्य ग्रह से माना जाता है। आइए जानते हैं इसे धारण करने के लाभ तथा विधि…



रत्न शास्त्र के ज्ञाताओं के अनुसार:-
बेल के पेड़ की जड़- *(फाइल चित्र)*
ज्योतिष शास्त्र में ग्रहों के अशुभ प्रभाव को दूर करने के लिए उपायों का वर्णन किया गिया है। जिसमें ग्रहों से संबंधित मंत्र और रत्नों का वर्णन किया गया है। आपको बता दें कि एक स्थान पर बैठ, मंत्र यज्ञ के अतिरिक्त रत्नादि से उपचार, किया जाता है। वहीं रत्नों को हाथ में धारण किया जाता है। किन्तु कुछ रत्न बहुत महंगे होते हैं। जिनके विकल्प रूप, ज्योतिष में पेड़ों की जड़ का वर्णन किया गया है। आगे यहां हम बात करेंगे, बेल के पेड़ की जड़ के बारे में, जिसका संबंध सूर्य ग्रह से होता है। अर्थात यदि आप माणिक्य रत्न नहीं पहन सकते, तो आप बेल के पेड़ की जड़ को धारण कर सकते हैं। आइए जानते हैं बेल की जड़ का महत्व और धारण करने की विधि…
रत्न शास्त्र अनुसार जिस प्रकार माणिक्य को सूर्य का रत्न एवं शुभ फल दायक माना जाता है, बेल की जड़ धारण करने से भी, सूर्य के रत्न माणिक्य के समान शुभ फल प्रदान होते हैं। बेल की जड़ धारण करने से आपके आत्मविश्वास में वृद्धि हो सकती है। इस जड़ को धारण करने से ह्रदय रोग, आंख के रोग, पित्त विकार से भी मुक्ति मिल सकती है। वहीं नौकरी व्यवसाय और राजनीति के लोग इस जड़ को धारण कर सकते हैं। उनका भविष्य उज्जवल हो, अच्छी सफलता मिल सकती है।

युगदर्पण ® 2001 मीडिया समूह YDMS👑  

तिलक रेलन आज़ाद वरिष्ठ पत्रकार


कभी ज्ञान विज्ञान से विश्वगुरु भारत की, स्वर्ण युग की उस शक्ति को पहचान देगा; ज्ञान -विज्ञान दर्पण | आओ, मिलकर इसे बनायें; - तिलक

Tuesday, September 23, 2014

भारत का मंगलकार्य सफल

भारत का मंगलकार्य सफल 
युदस: विश्व गुरु सार्थक हुआ, भारत के वैज्ञानिकों ने इतिहास रचा, युग दर्पण ने चोपाई की नई व्याख्या: मंगल भुवन अमंगल हारी अर्थात जो मंगल करता है वे मंगल की कृपा पाने में प्रथम बार में सफल हुए, जो अमंगल करता थे, वो हारते रहे।
अंतरिक्ष यात्रा 10 माह विडिओ में दर्शाया गया :-
https://www.youtube.com/watch?v=lMmyEJiOB-8&index=17&list=PLD8A212A480412E57
9 माह 23 दिवस की अंतरिक्ष यात्रा, का मार्ग। 
ट्रांस मंगल ग्रह इंजेक्शन (टीएमआई), 1 दिसंबर, 2013 को 0:49 बजे (आईएसटी) पर आरम्भ होकर, अंतरिक्ष यान बाहर मंगल ग्रह स्थानांतरण प्रक्षेपवक्र (MTT) में ले जाया गया। टीएमआई के साथ अंतरिक्ष यान के पृथ्वी की परिक्रमा का चरण समाप्त हो गया है और अंतरिक्ष यान सूर्य के चारों ओर लगभग 9 माह 23 दिवस की अंतरिक्ष यात्रा के पश्चात् मंगल ग्रह की परिधि में अब सतह पर है 
Trans Mars Injection (TMI), carried out on Dec 01, 2013 at 00:49 hrs (IST) has moved the spacecraft in the Mars Transfer Trajectory (MTT).With TMI the Earth orbiting phase of the spacecraft ended and the spacecraft is now on a course to encounter Mars after a journey of about 10 months around the Sun 
समस्त विवरण भारत ने आज अपना अंतरिक्षयान मंगल की कक्षा में सफलतापूर्वक स्थापित कर इतिहास रच दिया। यह उपलब्धि अर्जित करने के बाद भारत विश्व में प्रथम ऐसा देश बन गया, जिसने अपने प्रथम प्रयास में ही ऐसे अंतरग्रही अभियान में सफलता प्राप्त की है। प्रात: 7 बज कर 17 मिनट पर 440 न्यूटन लिक्विड एपोजी मोटर (एलएएम), यान को मंगल की कक्षा में प्रविष्ट कराने वाले उत्प्रेरक के साथ तेजी से सक्रिय हुयी, जिससे मंगल परिक्रमा (ऑर्बिटर) मिशन (एमओएम) यान की गति इतनी धीमी हो जाए, कि लाल ग्रह उसे खींच ले। मिशन की सफलता की घोषणा करते हुए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा ‘‘एमओएम का मंगल से मिलन।’’
विश्व गुरु सार्थक हुआएक ओर मंगल मिशन इतिहास के पृष्ठों में स्वयं को स्वर्ण अक्षरों में अंकित करा रहा था, वहीं दूसरी ओर यहां स्थित भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) के नियंत्रण केंद्र में अंतिम पल अति व्याकुलता भरे थे। अंतरिक्ष वैज्ञानिकों के साथ मंगल मिशन की सफलता के साक्षी बने, मोदी ने कहा ‘‘विषमताएं हमारे साथ रहीं और मंगल के 51 मिशनों में से 21 मिशन ही सफल हुए हैं,’’ किन्तु ‘‘हम सफल रहे।’’ प्रसन्नता से फूले नहीं समा रहे प्रधानमंत्री ने, इसरो के अध्यक्ष के राधाकृष्णन की पीठ थपथपाई और अंतरिक्ष की यह महती उपलब्धि अर्जित कर इतिहास रचने के लिए, भारतीय अंतरिक्ष वैज्ञानिकों को बधाई दी। ‘‘मंगलयान’’ की सफलता के साथ ही भारत प्रथम प्रयास में मंगल पर जाने वाला 'विश्व का प्रथम देश' बन गया है। यूरोपीय, अमेरिकी और रूसी यान लाल ग्रह की कक्षा में या तल पर पहुंचे हैं किन्तु कई प्रयासों के बाद।
मंगल यान को लाल ग्रह की कक्षा खींच सके, इसके लिए यान की गति 22.1 किमी प्रति सेकंड से घटा कर 4.4 किमी प्रति सेकंड की गई और फिर यान में डाले गए निर्देश (कमांड) द्वारा मंगल परिक्रमा प्रवेश ‘‘मार्स ऑर्बिटर इन्सर्शन’’ (एमओई) की प्रक्रिया संपन्न हुई। यह यान सोमवार को मंगल के अतिनिकट पहुंच गया था। जिस समय एमओएम कक्षा में प्रविष्ट हुआ, पृथ्वी तक इसके संकेतों को पहुंचने में प्राय: 12 मिनट 28 सेकंड का समय लगा। ये संकेत नासा के कैनबरा और गोल्डस्टोन स्थित गहन अंतरिक्ष संजाल (डीप स्पेस नेटवर्क) स्टेशनों ने ग्रहण किये और आंकड़े वास्तविक समय (रीयल टाइम) पर यहां इसरो स्टेशन भेजे गए। अंतिम पलों में सफलता का प्रथम संकेत तब मिला, जब इसरो ने घोषणा की कि भारतीय मंगल परिक्रमा (ऑर्बिटर) के इंजनों के प्रज्ज्वलन की पुष्टि हो गई है। इतिहास रचे जाने का संकेत देते हुए इसरो ने कहा ‘‘मंगल ऑर्बिटर के सभी इंजन शक्तिशाली हो रहे हैं। प्रज्ज्वलन की पुष्टि हो गई है।’’ मुख्य इंजन का प्रज्ज्वलित होना महत्वपूर्ण था, क्योंकि यह प्राय: 300 दिन से निष्क्रिय था और सोमवार को मात्र 4 सेकेंड के लिए सक्रिय हुआ था।
यह स्थिति पूर्णतया ‘‘इस पार या उस पार’’ वाली थी, क्योंकि समस्त कौशल के बाद भी एक तुच्छ सी भूल ऑर्बिटर को अंतरिक्ष की गहराइयों में धकेल सकती थी। यान की पूर्ण कौशल युक्त प्रक्रिया, मंगल के पीछे हुई; जैसा कि पृथ्वी से देखा गया। इसका अर्थ यह था कि मंगल परिक्रमा प्रवेश प्रज्ज्वलन में लगे, 4 मिनट के समय से लेकर प्रक्रिया के निर्धारित समय पर समापन के तीन मिनट बाद तक, पृथ्वी पर उपस्थित वैज्ञानिक दल यान की प्रगति नहीं देख पाए। ऑर्बिटर अपने उपकरणों के साथ कम से कम 6 माह तक दीर्घ वृत्ताकार पथ पर घूमता रहेगा और उपकरण एकत्र आंकड़े पृथ्वी पर भेजते रहेंगे। मंगल की कक्षा में यान को सफलतापूर्वक पहुंचाने के बाद भारत लाल ग्रह की कक्षा या सतह पर यान भेजने वाला चौथा देश बन गया है। अब तक यह उपलब्धि अमेरिका, यूरोप और रूस को मिली थी। कुल 450 करोड़़ रुपये की लागत वाले मंगल यान का उद्देश्य लाल ग्रह की सतह तथा उसके खनिज अवयवों का अध्ययन करना तथा उसके वातावरण में मीथेन गैस की खोज करना है। पृथ्वी पर जीवन के लिए मीथेन एक महत्वपूर्ण रसायन है। इस अंतरिक्ष यान का प्रक्षेपण 5 नवंबर 2013 को आंध्रप्रदेश के श्रीहरिकोटा से स्वदेश निर्मित पीएसएलवी रॉकेट से किया गया था। यह 1 दिसंबर 2013 को पृथ्वी के गुरूत्वाकर्षण से बाहर निकल गया था।
https://www.youtube.com/watch?v=jwHBMR8C6B0&index=87&list=PLDB2CD0863341092A
भारत का एमओएम न्यूनतम लागत वाला अंतरग्रही मिशन है। नासा का मंगल यान मावेन 22 सितंबर को मंगल की कक्षा में प्रविष्ट हुआ था। भारत के एमओएम की कुल लागत मावेन की लागत का मात्र दसवां अंश है। कुल 1,350 किग्रा भार वाले अंतरिक्ष यान में पांच उपकरण लगे हैं। इन उपकरणों में एक संवेदक (सेंसर), एक रंगीन कैमरा और एक 'ताप छायांकन वर्ण-पट यंत्र' थर्मल इमैजिंग स्पेक्ट्रोमीटर शामिल है। संवेदक लाल ग्रह पर जीवन के संभावित संकेत मीथेन अर्थात मार्श गैस का पता लगाएगा। रंगीन कैमरा और 'ताप छायांकन वर्ण-पट यंत्र' लाल ग्रह की सतह का तथा उसमें उपलब्ध खनिज संपदा का अध्ययन कर आंकड़े जुटाएंगे। भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन ने बताया कि अमेरिकी अंतरिक्ष एजेंसी नासा और मावेन की टीम ने भारतीय यान के मंगल की कक्षा में सफलतापूर्वक पहुंचने के लिए इसरो को बधाई दी है।
Antariksha Darpan. the most fascinating blog. About planet, sattelite & cosmology.
सबसे आकर्षक ब्लॉग. ग्रह, उपग्रह, और ब्रह्माण्ड विज्ञान के बारे में.
कभी ज्ञान विज्ञान से विश्वगुरु भारत की, स्वर्ण युग की उस शक्ति को
पहचान देगा; ज्ञान -विज्ञान दर्पण | आओ, मिलकर इसे बनायें; - तिलक

Thursday, April 18, 2013

नवसंवत्सर 2070, समाज सशक्तिकरण संकल्प श्रंखला व राम नवमी

नवसंवत्सर 2070, समाज सशक्तिकरण संकल्प श्रंखला YDMS 
1) नवसंवत्सर 2070 के शुभ अवसर पर हम समाज के सशक्तिकरण की एक संकल्प श्रंखला  का आरंभ 
कर रहे हैं।  इसके अंतर्गत समाज के विविध वर्गों, वर्णों अथवा जाति के नाम पर किसी को रिझाने वाली वोट बैंक राजनीति जनित भेदभाव को मिटाना हमारा प्रथम संकल्प है। 
स्वतंत्रता के 65 वर्ष का इतिहास साक्षी है, वर्ग, वर्ण अथवा जाति सशक्तिकरण के नाम पर जितने भी नारे लगे NGO बने, उद्देश्य था- सरकारी धन व सत्ता में भागीदारी की स्वार्थी वोट बैंक रिझाने वाली राजनीति में खेलना। समाज का व्यापक हित व सशक्तिकरण तो विपरीतगामी हुआ है।  -तिलक YDMS
एक दशक में नकारात्मक मीडिया का सकारात्मक व्यापक विकल्प देने के पश्चात् अब हमारा दूसरा अभियान यह है, आइये इसे सुधारें ! YDMS नवसंवत्सर 2070 समाज सशक्तिकरण संकल्प 1
नकारात्मक मीडिया के सकारात्मक व्यापक विकल्प का सार्थक संकल्प - (विविध विषयों के 28 ब्लाग, 5 चेनल  अन्य सूत्र) की 60 से अधिक देशों में एक वैश्विक पहचान है। आप चाहें तो आप भी इस सोच  संघर्ष के साथी बन सकते हैं, इसके समर्थक, योगदानकर्ता, प्रचारक,  Be a member -Supporter, contributor, promotional Team, तिलक -संपादक युगदर्पण मीडिया समूह YDMS. 9911111611, 9999777358, 9911383670. yugdarpan.com ,
2) अखिल विश्व में फैले सभी हिन्दू समाज को सपरिवार युगदर्पण मीडिया समूह YDMS की ओर से 
राम नवमी की हार्दिक शुभकामनायें। 
परिवार व समाज का संतुलन ?
राम नवमी का जन्म महिला व पतितों के स्वाभिमान का रक्षक यह अवसर इनके संतुलन के नाम।  आप किसी भी देश, धर्म, जाति के हों किसी भी युग में हों, संतुलन ही परिवार व समाज का दर्पण है। 
नर तथा नारी पहिये हैं परिवार की इक गाड़ी के: 
'महिला सशक्तिकरण' दिए गए नारे हैं अनाड़ी के: 
इसकी आड़ में किसी को छोटा व किसे बड़ा बनाओगे ? 
एक को भले रिझाओगे, परिवार की नींव हिलाओगे? 
संतुलन सही न होने से कोई गाड़ी सही नहीं चल पाती; 
परिवार समाज सशक्त करो; न कि कोई वर्ग, वर्ण या कोई जाति। -तिलक YDMS
YDMS नवसंवत्सर 2070 समाज सशक्तिकरण संकल्प 2
नकारात्मक मीडिया के सकारात्मक व्यापक विकल्प का सार्थक संकल्प - (विविध विषयों के 28 ब्लाग, 5 चेनल  अन्य सूत्र) की 60 से अधिक देशों में एक वैश्विक पहचान है। आप चाहें तो आप भी इस सोच  संघर्ष के साथी बन सकते हैं, इसके समर्थक, योगदानकर्ता, प्रचारक,  Be a member -Supporter, contributor, promotional Team, तिलक -संपादक युगदर्पण मीडिया समूह YDMS. 9911111611, 9999777358, 9911383670. yugdarpan.com ,
जो शर्मनिरपेक्ष, अपने दोहरे चरित्र व कृत्य से- देश धर्म संस्कृति के शत्रु;
राष्ट्रद्रोह व अपराध का संवर्धन, पोषण करते। उनसे ये देश बचाना होगा। तिलक
कभी विश्व गुरु रहे भारत की, धर्म संस्कृति की पताका;
 विश्व के कल्याण हेतू पुनः नभ में फहराये | - तिलक
http://dharmsanskrutidarpan.blogspot.in/2013/04/2070_18.html

कभी ज्ञान विज्ञान से विश्वगुरु भारत की, स्वर्ण युग की उस शक्ति को पहचान देगा; 
ज्ञान -विज्ञान दर्पण | आओ, मिलकर इसे बनायें; - तिलक

Saturday, March 30, 2013

वैचारिक क्रांति का सूत्रपात, कुचक्रों से घिरा राष्ट्र जागे !

वैचारिक क्रांति का सूत्रपात, कुचक्रों से घिरा राष्ट्र जागे 
हुँ ओर से लपटों में झुलसते राष्ट्र को बचने की चिंता केवल भारत के सच्चे सपूतों को ही होगी। अन्य तो मात्र पाखंड ही करेंगे। हमें भारत को उन लपटों से बचाना भी है, और उस पाखंड को भी खंड खंड करना है।
      केवल राजनैतिक, आर्थिक या सुरक्षा का मामला ही नहीं, सारी व्यवस्था, पूरी सोच राष्ट्र भाव तथा सांस्कृतिक गौरव से विहीन, लुंज पुंज होने के पीछे आधुनिकता के नाम पर मैकाले वाद तथा पाश्चात्य शैली का अँधा अनुसरण है। स्थिति जितनी व्यापक व भयावह है, चुनौती उतनी ही बड़ी है। इसका उतना ही व्यापक व गहन तथा लम्बा उपचार भी करना होगा । 
  सारी स्थिति व चुनौती को समझने एवं उपयुक्त उपचार के लिए युगदर्पण की सोच को जानने समझने यह लेख तथा व्यापक युगदर्पण मीडिया समूह YDMS देखें, बस आवश्यकता है इसके अनुरूप सोच व समर्पण से युक्त जुझारू सशक्त लेखकों के समूह की तथा इसे जन जन तक पहुँचाने की। 
युगदर्पण मीडिया समूह YDMS विविध विषयों के 28 ब्लाग, 5 चेनल व तना ही व्यापक अन्य सूत्र का महाजाल जिसकी एक वैश्विक पहचान है। इस सोच व संघर्ष के साथी बन आप इनमें लिख भी सकते हैं व इसके लेख E मेल से पा भी सकते है तथा उन्हें पुनर्प्रकाशित भी कर सकते हैं। हमारे 5 चैनल का विवरण लेख के अंत में है। तथा सभी 28 ब्लाग के "नए रूप" का पूरा विवरण अगले 4 दिन में विस्तार से मिलता रहेगा। जिके Book Mark या Custom Link Renew बदल गए हों; वे वेब से विविध विषयों के Link ले कर नए Book Mark बना सकते हैं, या ब्लाग में सीधे जुड़ सकते हैं।। 
जिसके 28में से एक ब्लाग राष्ट्र दर्पण के पृष्ठों में देश के विभिन्न राज्यों की स्थिति के बारे में क्षेत्र अनुसार अंकित विस्तृत जानकारी इस लेख में है। हमारे अन्य सूत्र (लिंक)http://draft.blogger.com/blogger.g?blogID=1452973826612011101#editor/target=page;pageID=1562547998781675205

http://draft.blogger.com/blogger.g?blogID=1452973826612011101#pages में आप पाएंगे 
1) पूर्व भारत के राज्यhttp://draft.blogger.com/blogger.g?blogID=1452973826612011101#editor/target=page;pageID=7234313184600869469 --
पूर्व के ये द्वार खोले उषा की किरणों हेतु, आतंकी काले साये- फिर कहाँ से आए ?
असम, बंगाल, उड़ीसा, सप्त द्वार (सिक्किम, अरुणांचल, मणिपुर, मेघालय, मिज़ो, नागालेंड, त्रिपुरा) 
..........क्या पूर्वोत्तर भारत का यह सत्य झुठलाया जा सकता है ?.........
2) पश्चिम भारत के राज्यhttp://draft.blogger.com/blogger.g?blogID=1452973826612011101#editor/target=page;pageID=1419492129237308499 --
आक्रान्ताओं की तलवारों के वारों को झेला व रोका
पंजाब, राजस्थान, गुजरात, महाराष्ट्र, गोवा व द्वीप समूह.
3) उत्तर भारत के राज्यhttp://draft.blogger.com/blogger.g?blogID=1452973826612011101#editor/target=page;pageID=2736568412854865036 --
मुकुट में भी आग लगी हो, नींद हमें कैसे आ जाये ?
जे.के., हिम.प्र., उत्तरा.खं., हरयाणा, चंडी., दिल्ली, उ.प्र.
4) दक्षिण भारत के राज्यhttp://draft.blogger.com/blogger.g?blogID=1452973826612011101#editor/target=page;pageID=2049083574967429477 --
भाषा न जाने, दिल को पहचाने
आन्ध्र.प्र., कर्ना., केरल, तमिलनाडु, पांडी., अं. नि. द्वीपसमूह. 
5) मध्य भारत के राज्यhttp://draft.blogger.com/blogger.g?blogID=1452973826612011101#editor/target=page;pageID=892471322916054448 --
राष्ट्र के ह्रदय प्रदेश 
मध्य प्र., छत्तीसगढ़, बिहार, झाड़खंड 
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नकारात्मक मीडिया के सकारात्मक विकल्प का सार्थक व्यापक संकल्प - (विविध विषयों के 28 ब्लाग, 5 चेनल व अन्य सूत्र) की 60 से अधिक देशों में एक वैश्विक पहचान है। आप चाहें तो आप भी इस सोच व संघर्ष के साथी बन सकते हैं, इसके समर्थक, योगदानकर्ता, प्रचारक,  Be a member -Supporter, contributor, promotional Team, तिलक -संपादक युगदर्पण मीडिया समूह YDMS9911111611, yugdarpan.com 

विविध विषयों के 28 ब्लाग में से 14 :-
http://antarikshadarpan.blogspot.in/2013/03/blog-post_30.html


यह राष्ट्र जो कभी विश्वगुरु था, आज भी इसमें वह गुण,
 योग्यता व क्षमता विद्यमान है | आओ मिलकर इसे बनायें; - तिलक
विश्वगुरु रहा वो भारत, इंडिया के पीछे कहीं खो गया |
 इंडिया से भारत बनकर ही, विश्व गुरु बन सकता है; - तिलक
कभी ज्ञान विज्ञान से विश्वगुरु भारत की,
 स्वर्ण युग की उस शक्ति को पहचान देगा;
 ज्ञान -विज्ञान दर्पण | आओ, मिलकर इसे बनायें; - तिलक

Friday, March 8, 2013

मान्यता धरोहर ज्ञान विज्ञान शैली: ये ब्लाग देखें

मान्यता धरोहर ज्ञान विज्ञान शैली: ये ब्लाग देखें
धर्म संस्कृति:- http://www.dharmsanskrutidarpan.blogspot.com/ 
ज्ञान विज्ञान:- http://www.gyaanvigyaandarpan.blogspot.com/ 
जीवन शैली:- http://www.jeevanshailydarpan.blogspot.com/ 

पर्यटनधरोहर:- http://www.paryatandharohardarpan.blogspot.com/
श्री राम सेतु:
हाल ही में केंद्रीय सरकार ने सुप्रीम कोर्ट को सूचित किया है कि उसने रामसेतु के मुद्दे पर गठित यह आर.के. पचौरी समिति की रिपोर्ट को सेतु समुद्रम परियोजना को गंभीर तथ्यों के आधार पर लेने के विचार को निरस्त कर दिया है। आर.के. पचौरी समिति की रिपोर्ट ने सेतु समुद्रम को न केवल आर्थिक और पारिस्थितिक अलाभकारी परियोजना करार दिया था और यहां तक ​​कि श्री रामसेतु के इतर एक अन्य वैकल्पिक मार्ग का सुझाव दिया है। इस समिति के इतर, कई विशेषज्ञों ने रामसेतु विध्वंस के साथ भारत के समुद्र में उपलब्ध कई मूल्यवान प्राकृतिक संपदा के नष्ट होने की शंका व्यक्त की व इसके कारण सूनामी का भी बढ़ सकता है, किन्तु इन सभी सुझावों की अनदेखी करके सरकार सेतु गिराने पर तुली हुई है।
   इस के अतिरिक्त, रामसेतु न केवल भारतीय संस्कृति और धर्म का अपितु भारत के अस्तित्व का भी एक अभिन्न अंग है। प्राचीन शास्त्रों में भारत के आकार को 'आसेतु - हिमाचल' कहा जाता है जिसका अर्थ है कि यह देश इस सेतु से हिमाचल तक फैला है। यदि सेतु वहाँ नहीं है तो भारत की पहचान का एक प्रतीक खो जाएगा।
यूपीए सरकार भारतीय संस्कृति के कई प्रतीकों/मानदंडों को नष्ट करने में लगी हुई है। यह बहुत दुर्भाग्यपूर्ण है और हास्यास्पद है कि 5 वर्ष पहले केंद्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में एक शपथ पत्र में कहा था कि राम ऐतिहासिक नहीं है। हालांकि यह जनाक्रोश का सामना करने पर वापस लिया गया था। इस तरह के अनावश्यक प्रश्न श्री राम जनम भूमि के संबंध में भी उठाये जाते रहे है।
विडंबना यह है कि रावण के देश यानी श्रीलंका की सरकार आधिकारिक तौर पर भगवान राम को ऐतिहासिक मानती है और उनसे संबंधित स्थानों की सुरक्षा/संरक्षित करती है और अपनी राम के देश की सरकार की सोच यह है। जब भारत प्रत्यक्ष विदेशी शासन के अधीन था, श्री राम और रामसेतु पर हमले का इस तरह प्रयास, नहीं किया गया था। जो बात 'अंग्रेज़ और औरंगजेब' करने के बारे में सोच भी नहीं सकता था, संप्रग सरकार करने पर तुली है।
यह सरकार का तर्क है कि 800 करोड़ खर्च किया जाने के बाद सेतु समुद्रम परियोजना को आगे बढ़ना चाहिए। ऐसा लगता है कि इस सरकार ने पैसे के लिए अपनी ईमानदारी और गरिमा को कम किया है। और अब पैसे केलिए भगवान राम तक को बेच देने का प्रयास कर रही है। सभ्यताओं की महिमा का प्रतीक पैसे के लिए नहीं बदलते हैं।

भाजपा का यह स्पष्ट मत है कि यदि वह सत्ता में आती है, यह पचौरी समिति की सिफारिशों को स्वीकार करेंगे। चाहे सेतु समुद्रम परियोजना के लिए एक वैकल्पिक मार्ग लिया जा सकता है या इस परियोजना को खत्म कर दिया जाना होगा हम किसी भी कीमत पर श्री रामसेतु का विध्वंस नहीं किया जाएगा क्योंकि यह 
करोड़ों हिंदुओं की आस्था से संबंधित एक मुद्दा है। श्री रामसेतु एक राष्ट्रीय स्मारक घोषित करने और इसे पाने के लिए संयुक्त राष्ट्र संघ द्वारा विश्व विरासत घोषित करने के लिए प्रयास करेंगे।

हिंदुत्व और अल्पसंख्यक:
हिंदुत्व:
हिंदुत्व एक मुद्दा है जिसके लिए भाजपा को अपने विरोधीयों द्वारा लक्षित किया जाता है।:
हिंदुत्व क्या है एक उदाहरण के द्वारा समझते हैं। अगस्त 2009 में प्रसिद्ध लेखक लिसा मिलर के एक लेख 'हम सब हिंदू हो रहे हैं' प्रतिष्ठित अंतरराष्ट्रीय पत्रिका न्यूज वीक में लिखा था।  यह इस लेख में लिखा गया है कि करोड़ों अमेरिकी लोग शाकाहारी भोजन, योग, ध्यान, हर्बल दवा की दिशा में तेजी से आकर्षित हो रहे हैं। और इतना ही नहीं इस लेख के अनुसार भगवान को पाने के, पूजा के एक से अधिक ढंग, विचार और मार्ग के प्रति आकर्षण, और पुनर्जन्म की स्वीकार्यता भी अमेरिका में बढ़ रही है। तो अनजाने में अमेरिका के लोगों में हिंदू मूल्यों के प्रति रुझान बढ़ रहे हैं। लेख से स्पष्ट है कि हिंदुत्व एक संप्रदाय नहीं है, यह जीवन की एक शैली है, जो किसी भी व्यक्ति जीवन के विभिन्न आयामों को प्रभावित करती है। 1995 में सुप्रीम कोर्ट ने भी अपने निर्णय में यह स्पष्ट कर दिया है कि हिंदुत्व न एक धर्म और न ही एक संप्रदाय है, अपितु एक जीवन शैली है।
दोस्तों, यह एक जीवन -शैली है, जिसमे न केवल भारत के लिए बल्कि पूरे विश्व के लिए शांति और अहिंसा का संदेश दिया गया है। यह जिसने विश्व को बुद्ध और गांधी दिया है। यह जीवन की शैली है कि जिसमे अकेले धर्म या मानव तो क्या, जीवित और निर्जीव प्राणियों में भी समान रूप से देवत्व देखते है। एकात्म मानववाद के रूप में पंडित दीनदयाल उपाध्याय द्वारा प्रतिपादित भी, जो हमारी राजनीतिक विचारधारा है, भारतीय संस्कृति के इन शाश्वत मूल्यों का समकालीन स्पष्टीकरण देती है।

हिंदुत्व और अल्पसंख्यक:
दोस्तों, हिंदुत्व यह जीवन की शैली है कि जिसके कारण विश्व में सभी धर्मो का अस्तित्व है। भारत विश्व में एकमात्र देश है जहां न केवल सभी धर्मों अपितु उनके सभी संप्रदायों के लोग पाए जाते हैं। मेरी जानकारी के अनुसार इस्लाम में 72 फिरके हैं। यहां 72 फिरके के अनुयायियों के लोग हैं। ईसाइयों के बीच न केवल रोमन कैथोलिक, प्रोटेस्टेंट, सातवें दिन धर्मान्तरण अपितु पूर्वी रूढ़िवादी और सीरियाई चर्च भी भारत में पाए जाते हैं। यदि पूरे विश्व में कोई जगह है जहां यहूदियों तो नहीं सताया गया यह भारत है। पारसी आज भारत में ही पाए जाते हैं। इसलिए भारत के इस मिश्रित समाज का आधार हिंदुत्व है और हम हमारी इसी विचारधारा से प्रेरणा ले कर आगे बदें।
 भारतीय जनता पार्टी ने समाज में धर्म और जाति के आधार पर कभी सौतेला व्यवहार नहीं किया है। इस धारणा से प्रेरित होने के नाते पार्टी के एक कार्यकर्त्ता के रूप में मैंने सदा मेरे मन में यह भाव रखा है। उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री के रूप में, जब मैंने मुख्यमंत्री निवास में समाज के विभिन्न वर्गों की पंचायतों का आयोजन किया तो मैंने अरबी और फारसी मदरसों की पंचायतों का भी आयोजन किया।
विश्व के ज्ञात इतिहास में एकमात्र देश है और यह जीवन की शैली है कि जिसके कारण भारत ने अन्य देशों पर जीत कर भारत में शामिल करने या केवल उन्हें दास बनाने की चाह में कभी आक्रमण नहीं किया। यह जीवन की शैली है जो किसी एक व्यक्ति को विश्व के देशों को जीतने के लिए प्रेरित नहीं करती है, अपितु लोगों के दिल को जीतने के लिए प्रेरित नहीं करती है। हिंदुत्व के संबंध में भाजपा की धारणा स्पष्ट है जो कि हमारे सम्माननीय अटल बिहारी वाजपेयी ने 1950 में एक युवा नेता के रूप में व्यक्त किया था।

"हो कर स्वतन्त्र मैने कब चाहा, मैं कर लूँ जग को गुलाम,
मैने तो सदा सिखाया है, करना अपने मन को गुलाम,
भू - भाग नही शत शत मानव के हृदय जीतने का निश्चय,
हिंदू तन -मन,  हिंदू जीवन, रग रग हिंदू मेरा परिचय। "

भारत के भविष्य के लिए केवल भाजपा क्यों ?:
दोस्तों, भारत युवाओं का एक देश है और 21 वीं सदी में हर युवा भारत को एक महान देश के रूप में देखना चाहता है। कांग्रेस का गठन आजादी के पहले 19 वीं सदी में अंग्रेजों द्वारा किया गया था और कांग्रेस ने 20 वीं सदी में अपने को चरम पर देखा, किन्तु भाजपा का यह गठन 20 वीं सदी में आजादी के बाद किया गया था और जब भारत ने 21 वीं सदी में प्रवेश किया अटल जी के नेतृत्व में भारत का नेतृत्व भाजपा के हाथ में था। दोस्तों, 20 वीं सदी कांग्रेस की थी और 21 वीं सदी  भाजपा की होगी।
हम सभी जानते हैं कि आजादी के बाद जब कांग्रेस सत्ता में आई तो इसने पराधीनता की सभी व्यवस्था को बनाये रखा है। भारत को कभी भी गुलाम मानसिकता से बाहर नहीं आने दिया है। हम हमारे राजनीतिक और आर्थिक दर्शन में कभी रूस और अन्य समय कभी अमेरिका की नकल करते रहे। अंग्रेजों की हम पर थोपी इस दास मानसिकता के कारण हमने अपनी पारंपरिक ज्ञान और विज्ञान की अनदेखी करना जारी रखा। आज विश्व भर में यह कहा जा रहा है कि भारत में विश्व की 'बौद्धिक पूंजी केंद्र' बनने की क्षमता है।परन्तु क्षमता के इस वास्तविक स्त्रोत को समझने की क्षमता केवल भाजपा में है।
मैं यह सब कुछ राजनीतिक पूर्वाग्रह के कारण नहीं, बल्कि तथ्यों के आधार पर कह रहा हूँ। आप सभी के हाथ में अपने मोबाइल फोन है और हम संचार क्रांति के युग में रह रहे हैं। यह सच है कि यह सब भारत ने पश्चिम से सीखा है। हमने यह सीखने के बाद विशेषज्ञता प्राप्त किया है, किन्तु विज्ञान और प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में हमने विश्व को क्या दिया है? हम विश्व के लिए एक नई तकनीक देने में सक्षम है ? मुझे विश्वास है कि हम पूरी तरह से ऐसा करने में सक्षम हैं। किन्तु आजादी के बाद भी एक लंबे समय तक सत्ता में होने के बाद मौलिक वैज्ञानिक अनुसंधान की दिशा में कांग्रेस ने कभी ध्यान नहीं दिया। और वास्तविकता यह है कि जो एक मौलिक वैज्ञानिक अनुसंधान पर ध्यान केंद्रित करता है, विश्व का नेतृत्व करता है। आज विश्व के सबसे शक्तिशाली देश अमेरिका, जो परमाणु बम की खोज करने के बाद एक महाशक्ति बन गया है।
भारत में भी कुछ इस तरह का करने की क्षमता है। दोस्तों, मैं भौतिकी का एक छात्र रहा हूँ तो मैं मौलिक भौतिकी में किये गये प्रयोग की ओर आपका ध्यान आकर्षित करना चाहता हूँ।
हम सभी जानते हैं कि मोबाइल से इंटरनेट और टीवी सभी डिजिटल सिग्नलों के आधार पर कार्य करते हैं। यह डिजिटल संकेत बनाना तब संभव हो गया, जब सौ साल पहले क्वांटम मैकेनिक्स की खोज की थी । क्वांटम मैकेनिक्स का उदगम जिस वर्नर हाइजेनबर्ग द्वारा प्रतिपादित  'अनिश्चितता के सिद्धांत' के माध्यम से हो पाया गया था, यदि हाइजेनबर्ग अनिश्चितता के सिद्धांत को प्रतिपादित नहीं करता, तब यह क्वांटम मैकेनिक्स नहीं आता जिससे वर्तमान संचार क्रांति आई, नहीं आ सकता था।
हाइजेनबर्ग ने अनिश्चितता का यह सिद्धांत इस देश के वैदिक दर्शन से सीखा। हाइजेनबर्ग 1929 में भारत आया और रवींद्र नाथ टैगोर से भेंट की थी। इस बैठक में उसने टैगोर के विभिन्न वैदिक दर्शन और सैद्धांतिक भौतिकी से संबंधित विषयों पर विचार - विमर्श किया। हाइजेनबर्ग के सहायक और ऑस्ट्रिया के वैज्ञानिक Fritj of Capra ने अपनी पुस्तक 'असामान्य बुद्धि' में कोई पृष्ठ 42-43 पर स्वयं लिखा है,"1929 में हाइजेनबर्ग ने प्रसिद्द भारतीय कवि रवीन्द्रनाथ टैगोर के अतिथि रूप में भारत में कुछ समय बिताया है। जिनके साथ उसने विज्ञान और भारतीय दर्शन के बारे में लंबी चर्चा की थी। भारतीय विज्ञान के इस परिचय से हाइजेनबर्ग ने दिव्य दृष्टि पाई। उसने मुझे बताया कि सापेक्षता, परस्पर जुडाव, मान्यता और भौतिक वास्तविकता के मुलभुत पक्षों, के रूप में नश्वरता, जो स्वयं के और उसके साथी के लिए इतना कठिन था, अनस्थिरता भौतिकविदों, भारतीय आध्यात्मिक परंपरा का आधार था, अब वह स्पष्ट होने लगे है।  ।उन्होंने कहा, 'कुछ विचार जो कि बुद्धि से परे लगते थे 'टैगोर के साथ इन वार्तालापों के बाद अचानक और अधिक विवेकमय लगने लगा। यह मेरे लिए एक बड़ा सहयोग था।
और यूरोप की सर्न प्रयोगशाला में गत वर्ष जुलाई में भगवान के कण को खोजा गया, जिनका वैज्ञानिक नाम हिग्स बोसॉन है। यह 21वीं सदी की सबसे बड़ी वैज्ञानिक खोज माना गया है। और यह कहा जा रहा है कि इस खोज से 21 वीं सदी के मानव जीवन में बड़ा परिवर्तन ला सकते हैं। एक समान सिद्धांत से प्रेरणा लेने के भारत के महान वैज्ञानिक सत्येन्द्र नाथ बोस के द्वारा 70-80 वर्ष पहले स्थापित किये गये आधार पर इस कण को खोजा गया था। इस कण के नाम में 'बोसॉन' शब्द सत्येन्द्र नाथ बोस के नाम से लिया गया है। एस.एन. बोस के बारे में यह कहा जाता है कि वह सदा ध्यान की अवस्था में रहते थे और जिससे वैज्ञानिक समस्याओं को तत्परता के साथ हल कर लेते थे। प्रसिद्ध वैज्ञानिक नील बोह्र ने भी बोस की इस क्षमता को स्वीकार किया था।
इसका अर्थ यह है कि आज के डिजिटल क्रांति का मूलभूत सिद्धांत हमारे पास था और भविष्य की क्रांति के मूलभूत सिद्धांत भी हमारे पास है। औपनिवेशिक मानसिकता के चलते बनी नीतियों के कारण हमने कभी 'विज्ञान के मूलभूत अनुसंधान' पर नहीं ध्यान दिया। और यह सोचने में भी हमें डर लगता है कि इन मौलिक शोध में हमारे पारंपरिक ज्ञान के आधार है।
जब हम सत्ता में आयेंगे तो हम मौलिक विज्ञान और भारतीय विज्ञान में अनुसंधान को बढ़ावा देंगे। हम मौलिक विज्ञान और अनुसंधान के क्षेत्र में हमारे पारंपरिक ज्ञान के वैज्ञानिक पक्ष के अनुसंधान को भी बढ़ावा देंगे।  21वीं सदी में विश्व का नेतृत्व करने की भारतीय क्षमता केवल तब सामने आयागी, जब मौलिक विज्ञान और मूलभूत प्रौद्योगिकी हमारे अपने होगे।
हम मौलिक विज्ञान में अनुसंधान के द्वारा नए स्वदेशी प्रौद्योगिकी निर्माण कर सकते हैं। रक्षा के क्षेत्र में हम इस तकनीक के माध्यम से हथियार बनाने में आत्मनिर्भर बन सकते है।  इसलिए हमारी वरीयता अन्य रक्षा उपकरणों के क्षेत्र में आत्मनिर्भर बनना होगा। यह रक्षा को सुदृद बनाने के साथ और करोड़ों डॉलर की  बचत के लिए होगा।
हम कहने का अर्थ यह है कि विश्व को भारत के योगदान के रूप में देखे जा रहे, आयुर्वेद योग और पर्यावरण संरक्षण तो है। गणित और विज्ञान के क्षेत्र में भी विश्व को नै खोजें देने की क्षमता भारत के पारंपरिक ज्ञान के है गुलामी के काल में हम भूल गए थे।
गुलामी के काल में गठित कांग्रेस, उस गुलामी मानसिकता से बाहर आने में असफल रही है। इसलिए विश्व स्तर पर भारत की वास्तविक क्षमता स्थापित करने का आत्म विश्वास कांग्रेस में कभी था ही नहीं।
मैं आपको विश्वास दिलाता हूं कि यदि हम सत्ता में आते हैं तो भाजपा के पास वह दृष्टी है जो उसे विश्व के बौद्धिक पूंजी का केंद्र और उससे भी आगे यह भारत को फिर से जगतगुरू स्थापित कर सकते हैं।

वैकल्पिक अर्थव्यवस्था:
हम सभी ने 20 वीं सदी के अंतिम दशक में साम्यवाद का पतन देखा है और 21वीं सदी के प्रथम दशक में  पूंजीवाद हीनता है आज इस सदी में ही विश्व को एक नई वैकल्पिक अर्थव्यवस्था की आवश्यकता है। उस विकल्प का आधार केवल भारत के पास है। हमें यह समझने की आवश्यकता है। इस विकल्प के आधार भारत द्वारा विश्व के इतिहास में दी गई दो सबसे बड़ी विरासत, भगवान बुद्ध और महात्मा गांधी के विचारों में निहित है। जबकि बुद्ध ने कहा 'सम्यक विचार' और 'सम्यक कर्म' अर्थात बुद्ध के राजनीतिक और आर्थिक दर्शन मध्य मार्ग का है। कि किसी भी विचार के चरम दृश्य में नहीं ले जाना है -चाहे वह पूंजीवाद या साम्यवाद है। पं दीनदयाल उपाध्याय व दत्तोपंत ठेंगडी के आर्थिक दर्शन का आधार भी यही था।
पश्चिम उन्मुख विकास के दोष में केवल भारत नहीं बल्कि विश्व विभिन्न जटिल समस्याओं से घिरा।

उपभोक्तावाद के अतिरेक से बचते है, बचने की उपयुक्त प्रवृति को बढ़ाते प्रकृति के साथ संतुलन बनाते हुए, सामाजिक दायित्वों का निर्वाह करते हुए, हमारे नैतिक मूल्यों की रक्षा करने वाली एक नई स्वदेशी अर्थव्यवस्था हमारे आर्थिक विकास का वैकल्पिक प्रारूप होगा। यह वैश्वीकरण का विरोध नहीं होगा, किन्तु उसके दोषों को सुधारने का प्रयास होगा और पूरे विश्व को एक नई दिशा देने के लिए काम करेंगा।

तो 21वीं सदी के लिए भाजपा की दृष्टि है: 
** वैकल्पिक प्रारूप व्यय नहीं बचत के आधार पर वैकल्पिक आर्थिक विकास
** मौलिक विज्ञान में अनुसंधान
** आत्मनिर्भर रक्षा उत्पादन
** पारंपरिक भारतीय ज्ञान में अनुसंधान (जैसे जैविक खेती एवं आयुर्वेद)
** 'भारत को विश्व की बौद्धिक एवं कृषि राजधानी बनाने के लिए
** तब यह गरीबी और बेरोजगारी उन्मूलन के साथ भारत विश्व में एक शक्तिशाली देश के रूप में उभरेगा। ** भारत को मानव जीवन के उच्चतम मूल्यों के जिन प्रतीकों के लिए भगवान राम, कृष्ण भगवान से लेकर बुद्ध और महात्मा गांधी के रूप में जाना जाता है, उन को स्थापित किया जाएगा।

और भी हैं... इक्कीसवीं शताब्दी हमारी होगी: भाजपा राष्ट्रीय परिषद की बैठक 2 -3, मार्च 2013 , पूरा पदें http://yuvaadarpan.blogspot.in/2013/03/blog-post.html
http://raashtradarpan.blogspot.in/2013/03/blog-post.html

मान्यता धरोहर ज्ञान विज्ञान शैली: ये ब्लाग देखें
धर्म संस्कृति:- http://www.dharmsanskrutidarpan.blogspot.com/ 
ज्ञान विज्ञान:- http://www.gyaanvigyaandarpan.blogspot.com/ 
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आर्थिक संकल्प मुद्रास्फीति की दर और भ्रष्टाचार यूपीए सरकार की पहचान । पूरा पदें, 
सम्बद्ध वीडियो देखें :
1) http://www.youtube.com/watch?feature=player_embedded&v=-xhUX3Moubc
2) http://www.youtube.com/watch?feature=player_embedded&v=GCHwfRKsFIw#!
3) http://www.youtube.com/watch?feature=player_embedded&v=3DR3WO0EfPg
4) 
राजनैतिक प्रस्ताव यूपीए प्रधानमंत्री रूप में डा. मनमोहन सिंह के और श्रीमती सोनिया गांधी के नेतृत्व में अनियंत्रित भ्रष्टाचार को परिभाषित यूपीए सरकार। पूरा पदें, वीडियो 
1) http://www.youtube.com/watch?feature=player_embedded&v=EkoSiWy2YNY
2) http://www.bjp.org/index.php?option=com_content&view=article&id=8598:points-made-shri-m-venkaiah-naidu-while-intervening-in-debate-on-political-resolution&catid=68:press-releases&Itemid=494

आर्थिक प्रस्ताव पूरा पदें,/ 
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राजनैतिक प्रस्ताव पूरा पदें,/ 
वीडियो https://www.youtube.com/watch?v=CiK-iG_mFL4&list=PL07E4C2D4718D3CC6&index=52

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