Wednesday, August 23, 2023
नेताओं ने वैश्विक आर्थिक सुधार, अफ्रीका और ग्लोबल साउथ के साथ साझेदारी सहित महत्वपूर्ण चर्चा की और ब्रिक्स एजेंडे पर अब तक हुई प्रगति की भी समीक्षा की।
चंद्रयान-3 की सफलता 140 करोड़ भारतीयों की आकांक्षाओं और सामर्थ्य का प्रतिबिंब है: प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी YDMS👑
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*युदस नदि 23 अगस्त 2023:* पूरा देश चंद्रयान-3 की सफलता से उल्लासित है। देश के राष्ट्रपति उपराष्ट्रपति ने इस उपलब्धि पर बधाई दी।
जोहान्सबर्ग में दक्षिण अफ्रीका की अध्यक्षता में आयोजित 15 वें ब्रिक्स शिखर सम्मेलन में भागीदारी करने गए प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने 23 अगस्त 2023 को चंद्रयान-3 की सफलता पर वहां से बधाई दी।
नेताओं ने वैश्विक आर्थिक सुधार, अफ्रीका और ग्लोबल साउथ के साथ साझेदारी सहित महत्वपूर्ण चर्चा की और ब्रिक्स एजेंडे पर अब तक हुई प्रगति की भी समीक्षा की।
प्रधानमंत्री नेअपने संबोधन के मध्य, एक सशक्त ब्रिक्स का आह्वान किया जो इस प्रकार है:
बी- ब्रेकिंग बैरियर्स(बाधाओं को तोड़ना)
आर- रिवाइटलाइजिंग इकोनॉमीज(अर्थव्यवस्थाओं को पुनर्जीवित करना)
आई- इंस्पायरिंग इनोवेशन(प्रेरक इनोवेशन)
सी- क्रिएटिंग अपॉर्चुनिटी(अवसर उत्पन्न करना)
एस-शेपिंग द फ्यूचर(भविष्य को आकार देना)
इस मध्य प्रधानमंत्री ने निम्नलिखित पक्षों पर भी प्रकाश डाला:
यूएनएससी सुधारों हेतु निश्चित समयसीमा तय करने का आह्वान किया
बहुपक्षीय वित्तीय संस्थानों में सुधार का आह्वान किया
डब्ल्यूटीओ में सुधार का आह्वान किया
ब्रिक्स से अपने विस्तार पर आम सहमति बनाने का आह्वान किया
ब्रिक्स से ध्रुवीकरण नहीं, अपितु एकता का वैश्विक संदेश भेजने का आग्रह किया
ब्रिक्स स्पेस एक्सप्लोरेशन कंसोर्टियम के निर्माण का प्रस्ताव प्रस्तुत किया
ब्रिक्स भागीदारों को इंडियन डिजिटल पब्लिक इंफ्रास्ट्रक्चर - भारतीय स्टैक प्रस्तावित किया गया
ब्रिक्स देशों के बीच स्किल मैपिंग, कौशल और गतिशीलता को बढ़ावा देने का उपक्रम प्रस्तावित
इंटरनेशनल बिग कैट अलायंस के अंतर्गत चीतों के संरक्षण हेतु ब्रिक्स देशों के संयुक्त प्रयासों का प्रस्ताव
ब्रिक्स देशों के बीच पारंपरिक चिकित्सा का भंडार स्थापित करने का प्रस्ताव
ब्रिक्स साझेदारों से जी20 में एयू की स्थायी सदस्यता का समर्थन करने का आह्वान किया
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने कहा है कि चंद्रयान-3 की सफलता 140 करोड़ भारतीयों की आकांक्षाओं और सामर्थ्य का प्रतिबिंब है।
भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) की ओर से एक्स पर की गई पोस्ट को साझा करते हुए, प्रधानमंत्री ने कहा:
“चंद्रयान-3 की सफलता 140 करोड़ भारतीयों की आकांक्षाओं और सामर्थ्य का प्रतिबिंब है।
नये क्षितिज और उससे आगे की ओर!
भारत के लिए गर्व का क्षण।”
इसी प्रकार केन्द्रीय मंत्री मंडल के अन्य मंत्रियों शीर्ष जनों से भी बधाई संदेश आते रहे।
-तिलक रेलन वरिष्ठ पत्रकार, युगदर्पण ®2001 मीडिया समूह YDMS👑
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Friday, April 28, 2023
PM Narendra Modi inaugurates 91 FM transmitters across 18 states and 2 Union Territories. -Live
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*युदस नदि 28 अप्रैल 223:* देखें: प्रमं नरेन्द्र मोदी द्वारा 18 राज्यों तथा 2 केंप्रप्र में 91 एफ एम ट्रांसमीटरों का उद्घाटन करते देखें।
PM Narendra Modi inaugurates 91 FM transmitters across 18 states and 2 Union Territories.
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-तिलक रेलन वरिष्ठ पत्रकार
युगदर्पण®2001 मीडिया समूह YDMS👑
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कभी ज्ञान विज्ञान से विश्वगुरु भारत की,
स्वर्ण युग की उस शक्ति को पहचान देगा;
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आओ, मिलकर इसे बनायें; - तिलक
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*युदस नदि 28 अप्रैल 223:* देखें: प्रमं नरेन्द्र मोदी द्वारा 18 राज्यों तथा 2 केंप्रप्र में 91 एफ एम ट्रांसमीटरों का उद्घाटन करते देखें।
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Saturday, October 22, 2022
*ज्योतिष शास्त्र/रत्न शास्त्र- माणिक्य और उसका विकल्प?*
*युदस नदि 22, अक्टू 2022;*हाथ में यदि सूर्य का बहुमुल्य रत्न माणिक्य नहीं पहन सकते तो हाथ में बांध लें, इस पेड़ की जड़, सूर्य देव की कृपा से चमक सकता है भाग्य।
रत्न शास्त्र अनुसार बेल के पेड़ की जड़ का संबंध सूर्य ग्रह से माना जाता है। आइए जानते हैं इसे धारण करने के लाभ तथा विधि…
रत्न शास्त्र के ज्ञाताओं के अनुसार:-
बेल के पेड़ की जड़- *(फाइल चित्र)*
ज्योतिष शास्त्र में ग्रहों के अशुभ प्रभाव को दूर करने के लिए उपायों का वर्णन किया गिया है। जिसमें ग्रहों से संबंधित मंत्र और रत्नों का वर्णन किया गया है। आपको बता दें कि एक स्थान पर बैठ, मंत्र यज्ञ के अतिरिक्त रत्नादि से उपचार, किया जाता है। वहीं रत्नों को हाथ में धारण किया जाता है। किन्तु कुछ रत्न बहुत महंगे होते हैं। जिनके विकल्प रूप, ज्योतिष में पेड़ों की जड़ का वर्णन किया गया है। आगे यहां हम बात करेंगे, बेल के पेड़ की जड़ के बारे में, जिसका संबंध सूर्य ग्रह से होता है। अर्थात यदि आप माणिक्य रत्न नहीं पहन सकते, तो आप बेल के पेड़ की जड़ को धारण कर सकते हैं। आइए जानते हैं बेल की जड़ का महत्व और धारण करने की विधि…
रत्न शास्त्र अनुसार जिस प्रकार माणिक्य को सूर्य का रत्न एवं शुभ फल दायक माना जाता है, बेल की जड़ धारण करने से भी, सूर्य के रत्न माणिक्य के समान शुभ फल प्रदान होते हैं। बेल की जड़ धारण करने से आपके आत्मविश्वास में वृद्धि हो सकती है। इस जड़ को धारण करने से ह्रदय रोग, आंख के रोग, पित्त विकार से भी मुक्ति मिल सकती है। वहीं नौकरी व्यवसाय और राजनीति के लोग इस जड़ को धारण कर सकते हैं। उनका भविष्य उज्जवल हो, अच्छी सफलता मिल सकती है। युगदर्पण ® 2001 मीडिया समूह YDMS👑
तिलक रेलन आज़ाद वरिष्ठ पत्रकार
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शुभ अशुभ,
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सफलता की सीढ़ियां
Friday, September 23, 2022
*Media interaction on draft Telecom Bill 2022 by Union Minister Ashwini Vaishnav. PIB Live*
👉1/22, विश्वकर्मासुत दर्पण YDMS👑
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https://t.me/ydms_oll
*युदस नदि 23 sept 22:*
PIB Live You are watching Media interaction on draft Telecom Bill 2022 by Union Minister Ashwini Vaishnav. PIB Live
साभार पसूका; टेलीकॉम बिल प्रारुप: नए टेलीकॉम बिल का प्रारुप प्रस्तुत, उद्देश्य: इंटरनेट आधारित सेवाओं को संचालित करना है।
अर्थ उद्योग श्रमिक, युगदर्पण®2001, नई दिल्ली
सार
टेलीकॉम बिल का प्रारुप: दूरसंचार विभाग ने एक नया प्रारुप विधेयक प्रस्तुत किया है इसके माध्यम से सरकार भारत में दूरसंचार को नियंत्रित करने वाले वर्तमान कानूनी ढांचे में परिवर्तन करना चाहती है। सरकार नए विधेयक के माध्यम से भारतीय टेलीग्राफ अधिनियम, 1885, वायरलेस टेलीग्राफी अधिनियम, 1933 और टेलीग्राफ वायर (अवैध अधिकार) अधिनियम, 1950 को समेकित करना चाहती है।
विस्तार
दूरसंचार विभाग ने एक नया प्रारूप विधेयक प्रस्तुत किया है इसके माध्यम से सरकार भारत में दूरसंचार को नियंत्रित करने वाले वर्तमान कानूनी ढांचे में परिवर्तन करना चाहती है। सरकार नए विधेयक के माध्यम से भारतीय टेलीग्राफ अधिनियम, 1885, वायरलेस टेलीग्राफी अधिनियम, 1933 और टेलीग्राफ वायर (अवैध अधिकार) अधिनियम, 1950 को समेकित करना चाहती है।
केंद्र का मानना है कि भारत को 21वीं सदी की वास्तविकताओं के अनुरूप दूरसंचार क्षेत्र के लिए एक नए कानूनी ढांचे की आवश्यकता है। प्रस्तावित विधेयक के व्याख्यात्मक नोट में इसे भारतीय दूरसंचार विधेयक, 2022 का नाम दिया गया है।
विभाग की ओर से जारी एक व्याख्यात्मक नोट में कहा गया है कि दूरसंचार क्षेत्र के लिए वर्तमान नियामक ढांचा भारतीय टेलीग्राफ अधिनियम, 1885 पर आधारित है। टेलीग्राफ के युग के बाद से दूरसंचार की प्रकृति, इसके उपयोग और प्रौद्योगिकियों में बड़े स्तर पर परिवर्तन आया है। विश्व ने 2013 से टेलीग्राफ का उपयोग करना बंद कर दिया है।
yds -YDMS 👑
- तिलक रेलन आज़ाद वरिष्ठ पत्रकार,*
https://youtube.com/playlist?list=PLNxqtA0adB6q5rpNG4hQwTqHz72XvJGYA
साभार पसूका; टेलीकॉम बिल प्रारुप: नए टेलीकॉम बिल का प्रारुप प्रस्तुत, उद्देश्य: इंटरनेट आधारित सेवाओं को संचालित करना है।
अर्थ उद्योग श्रमिक, युगदर्पण®2001, नई दिल्ली
सार
टेलीकॉम बिल का प्रारुप: दूरसंचार विभाग ने एक नया प्रारुप विधेयक प्रस्तुत किया है इसके माध्यम से सरकार भारत में दूरसंचार को नियंत्रित करने वाले वर्तमान कानूनी ढांचे में परिवर्तन करना चाहती है। सरकार नए विधेयक के माध्यम से भारतीय टेलीग्राफ अधिनियम, 1885, वायरलेस टेलीग्राफी अधिनियम, 1933 और टेलीग्राफ वायर (अवैध अधिकार) अधिनियम, 1950 को समेकित करना चाहती है।
विस्तार
दूरसंचार विभाग ने एक नया प्रारूप विधेयक प्रस्तुत किया है इसके माध्यम से सरकार भारत में दूरसंचार को नियंत्रित करने वाले वर्तमान कानूनी ढांचे में परिवर्तन करना चाहती है। सरकार नए विधेयक के माध्यम से भारतीय टेलीग्राफ अधिनियम, 1885, वायरलेस टेलीग्राफी अधिनियम, 1933 और टेलीग्राफ वायर (अवैध अधिकार) अधिनियम, 1950 को समेकित करना चाहती है।
केंद्र का मानना है कि भारत को 21वीं सदी की वास्तविकताओं के अनुरूप दूरसंचार क्षेत्र के लिए एक नए कानूनी ढांचे की आवश्यकता है। प्रस्तावित विधेयक के व्याख्यात्मक नोट में इसे भारतीय दूरसंचार विधेयक, 2022 का नाम दिया गया है।
विभाग की ओर से जारी एक व्याख्यात्मक नोट में कहा गया है कि दूरसंचार क्षेत्र के लिए वर्तमान नियामक ढांचा भारतीय टेलीग्राफ अधिनियम, 1885 पर आधारित है। टेलीग्राफ के युग के बाद से दूरसंचार की प्रकृति, इसके उपयोग और प्रौद्योगिकियों में बड़े स्तर पर परिवर्तन आया है। विश्व ने 2013 से टेलीग्राफ का उपयोग करना बंद कर दिया है।
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- तिलक रेलन आज़ाद वरिष्ठ पत्रकार,*
*युगदर्पण®2001 मीडिया समूह YDMS👑*
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Monday, January 20, 2020
YDMS👑प्रस्तुति... DD-Live YDMS दूरदर्पण, CD-Live YDMS चुनावदर्पण देश को समर्पित, दो यू-टयूब राष्ट्रीय चैनल.
👑आज अपने जन्म दिवस के अवसर पर, देश को समर्पित हैं, दो यू-टयूब राष्ट्रीय चैनल
सकारात्मक सार्थक श्रेष्ठ चयनित समाचार का प्रतीक YDMS👑प्रस्तुति
DD-Live YDMS दूरदर्पण विविध राष्ट्रीय अन्तरराष्ट्रीय विषयों पर दो दर्जन प्ले-सूची https://www.youtube.com/channel/UCHK9opMlYUfj0yTI6XovOFg एवं
देश की राजनीति पर युगदर्पण मीडिया समूह का नया यू-टयूब चैनल CD-Live YDMS चुनावदर्पण
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कभी विश्व गुरु रहे भारत की, धर्म संस्कृति की पताका; विश्व के कल्याण हेतू पुनः नभ में फहराये | - तिलक
यह राष्ट्र जो कभी विश्वगुरु था, आज भी इसमें वह गुण, योग्यता व क्षमता विद्यमान है | आओ मिलकर इसे बनायें; - तिलक
कभी ज्ञान विज्ञान से विश्वगुरु भारत की, स्वर्ण युग की उस शक्ति को पहचान देगा; ज्ञान -विज्ञान दर्पण | आओ, मिलकर इसे बनायें; - तिलक
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कभी विश्व गुरु रहे भारत की, धर्म संस्कृति की पताका; विश्व के कल्याण हेतू पुनः नभ में फहराये | - तिलक
यह राष्ट्र जो कभी विश्वगुरु था, आज भी इसमें वह गुण, योग्यता व क्षमता विद्यमान है | आओ मिलकर इसे बनायें; - तिलक
कभी ज्ञान विज्ञान से विश्वगुरु भारत की, स्वर्ण युग की उस शक्ति को पहचान देगा; ज्ञान -विज्ञान दर्पण | आओ, मिलकर इसे बनायें; - तिलक
Thursday, January 14, 2016
पीयूष गोयल ने दिया, ऊर्जा क्षेत्र में भारत-जापान सहयोग बढ़ाने पर बल
पीयूष गोयल ने दिया, ऊर्जा क्षेत्र में भारत-जापान सहयोग बढ़ाने पर बल |
केन्द्रीय बिजली, कोयला और नवीन तथा नवीकरणीय ऊर्जा राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) पीयूष गोयल ने पुन: भारत और जापान के बीच ऊर्जा क्षेत्र में सहयोग बढ़ाने की आवश्यकता पर बल दिया है। गोयल आज प्रात: द्विपक्षीय बैठक में टोक्यो, जापान में वहां के आर्थिक, व्यापार और उद्योग मंत्री 'मोतो हयाशी' के साथ बोल रहे थे। उन्होंने कहा कि ऊर्जा क्षेत्र में सहयोग इस प्रकार होना चाहिए कि जापानी तकनीक और धन भारतीय उच्च कुशल मानव संसाधन और ‘’मेक इन इंडिया’ के साथ मेल खाये, जिससे साझेदारी न केवल परस्पर लाभ के लिए हो बल्कि विश्व के लाभ के लिए भी हो। उन्होंने कहा कि यह विश्व में भारत को निर्माण केंद्र के रूप में स्थापित करने की प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की परिकल्पना को प्रतिबिंबित करता है। पीयूष गोयल 8वें भारत-जापान ऊर्जा वार्ता में शामिल होने के लिए, 12 से 14 जनवरी, 2016 के टोक्यो प्रवास पर है। गोयल और हयाशी ने नवीकरणीय ऊर्जा और ऊर्जा दक्ष प्रौद्योगिकियों सहित ऊर्जा क्षेत्र में, दोनों देशों के बीच महत्वपूर्ण संबंधों को बढ़ाने की इच्छा दोहराई। वे कार्यकारी समूहों के बीच 'वीडियो कांफ्रेंस' और द्विपक्षीय यात्राओं के माध्यम नियमित विचार-विमर्श करने पर सहमत है, जिससे परस्पर व्यावसायिक अवसरों से संबंधित मुद्दों को तेजी से आगे बढ़ाया जा सके। दोनों मंत्रीगण सहमत थे कि परस्पर संबंधों के ठोस परिणाम निकलने चाहिए, जिन्हें दोनों देशों के प्रधानमंत्रियों के बीच होने वाली वार्षिक सम्मेलन बैठक के मध्य दिखाया जा सके। गोयल ने विश्व में सबसे बड़े एलईडी कार्यक्रम और महत्वकांक्षी 175 जीडब्ल्यू नवीकरणीय ऊर्जा कार्यक्रम के बारे में बताते हुये कहा कि ऊर्जा दक्षता और नवीकरणीय ऊर्जा दो महत्व वाले क्षेत्र हैं और इनमें जापानी प्रौद्योगिकी के उपयोग की अति संभावना है। जापानी अत्याधुनिक प्रौद्योगिकियों के लिये भारत सबसे बड़ा और तेजी से विस्तार लेता बाजार है और भारत दोनों पक्षों के परस्पर लाभ के लिए ऐसी प्रौद्योगिकी को बढ़ावा देने को उत्सुक है। पीयूष गोयल ने 13-18 फरवरी, 2016 को मुम्बई में होने वाले ‘मेक इन इंडिया’ कार्यक्रम में हयाशी के नेतृत्व में जापान के आर्थिक, व्यापार और उद्योग मंत्रालय के उच्चस्तरीय प्रतिनिधिमंडल को शामिल होने का भी निमंत्रण दिया। |
पहचान देगा; ज्ञान -विज्ञान दर्पण | आओ, मिलकर इसे बनायें; - तिलक
Monday, September 28, 2015
फेसबुक के बाद अब मोदी गूगल में

अधिक से अधिक भारतियों को इंटरनेट से जोड़ने की एक पहल - 1 करोड़ रेल यात्रियों प्रतिदिन से शुभारम्भ
जब मैं एक छात्र था, मैं चेन्नई सेंट्रल स्टेशन (तब मद्रास सेंट्रल के रूप में जाना जाता था) से आईआईटी खड़गपुर की दिन की रेल यात्रा पसंद करता था । मुझे विभिन्न स्टेशनों पर उन्मत्त ऊर्जा की याद आज भी ताजा है और मैं भारतीय रेल के अविश्वसनीय स्तर और विस्तार पर अचम्भा करता था ।
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आज गूगलप्लेक्स में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी |
मुझे यह घोषणा करते हुए बहुत गर्व हो रहा है कि ये भारत के रेलवे स्टेशन हैं, जो करोड़ों लोगों को ऑनलाइन लाने में सहायता करेंगे। गत वर्ष, भारत में 10 करोड़ लोगों ने पहली बार इंटरनेट उपयोग शुरू किया है। इसका अर्थ यह है कि भारत में अब चीन को छोड़ कर हर देश से अधिक इंटरनेट उपयोगकर्ता हैं। किन्तु चौंकाने वाली बात ये है कि भारत में अभी भी 100 करोड़ से अधिक लोग ऑनलाइन नहीं हैं।
हम इन 100 करोड़ भारतवासियों को ऑनलाइन लाने में सहयोग करना चाहते हैं - ताकि उन्हें पूरे वेब तक पहुँच मिल सके और वहां उपलब्ध जानकारी और अवसर भी । और किसी पुराने 'कनेक्शन' से नहीं - तेज़ 'ब्रॉडबैंड' से ताकि वे वेब का सबसे अच्छा अनुभव कर सकें । इसलिए आज, भारत के प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी जी के हमारे U.S. मुख्यालय में उपस्थित होने के अवसर पर और उनकी डिजिटल इंडिया पहल के अनुरूप, हमने भारत भर में 400 रेलवे स्टेशनों में सार्वजनिक उच्च गति वाई-फाई उपलब्ध कराने के लिए एक नई परियोजना की घोषणा की है।
हमारी पहुंच और ऊर्जा टीम की, भारतीय रेलवेज, जो कि विश्व के सबसे बड़े रेलवे नेटवर्कों में से एक चला रही है और रेलटेल, जो व्यापक फाइबर नेटवर्क के माध्यम से "रेलवायर" जैसी इंटरनेट सेवाएं प्रदान करता है, के साथ काम करते हुए आने वाले महीनों में पहले स्टेशनों को ऑनलाइन लाने की योजना है। यह नेटवर्क 2016 के अंत से पहले भारत में सबसे व्यस्त स्टेशनों में से 100 को कवर करने के लिए तेजी से विस्तार करेगा, और उसके बाद शीघ्र ही शेष स्टेशन कवर होंगे।
जब मात्र पहले 100 स्टेशन ऑनलाइन होंगे, तब भी इस परियोजना के माध्यम से हर दिन 1 करोड़ से अधिक लोगों के लिए वाई-फाई उपलब्ध होगा। यह भारत में सबसे बड़ी सार्वजनिक वाई-फाई परियोजना होगी और संभावित उपयोगकर्ताओं की संख्या के दृष्टी से विश्व की सबसे बड़ी परियोजनाओं में गिनी जाएगी । यह वाई-फाई तेज़ भी होगा - भारत में अधिकतम लोग आज जो उपयोग करते हैं, उसकी तुलना में कई गुना तेज़ । इस से यात्री जितनी देर प्रतीक्षा कर रहे हैं, उतनी देर में एक उच्च परिभाषा ,वीडियो स्ट्रीम, कर पाएंगे, अपने गंतव्य के बारे में कुछ अनुसंधान कर पाएंगे या कुछ वीडियो, एक पुस्तक या एक नया खेल डाउनलोड कर पाएंगे। सबसे अच्छी बात, यह सेवा आरम्भ में निशुल्क होगी और भविष्य में इसे आत्मनिर्भर बनाने का दीर्घकालीन लक्ष्य है, ताकि रेलटेल और अधिक भागीदारों के साथ अधिक स्टेशनों और अन्य स्थानों में इसका विस्तार किया जा सके।
![]() |
इस नक्शे में वो पहले 100 स्टेशन दर्शाये गए हैं जहाँ 2016 के अंत तक उच्च गति वाई-फाई होगा |
पर यह मात्र एक अंश है । अधिक भारतीयों को सस्ती, उच्च गुणवत्ता वाले 'स्मार्टफोन्स' प्राप्त करने के लिए, जो अधिकतम लोगों के लिए इंटरनेट का उपयोग प्राथमिक प्रयास है, हमने गत वर्ष एंड्राइड वन फ़ोन लांच किया था । सीमित बैंडविड्थ की चुनौतियों से निपटने में सहायता करने के लिए, हम हाल ही में मोबाइल वेब पृष्ठों को तेजी से और कम डेटा के साथ लोड करने की सुविधा लाये हैं, यूट्यूब ऑफ़लाइन उपलब्ध बनाया है और ऑफलाइन मैप्स जल्द ही आने वाला है।
भारतीयों, जिनमे से कई अंग्रेजी नहीं बोलते, के लिए वेब सामग्री और अधिक उपयोगी बनाने में सहायता करने के लिए और अधिक स्थानीय भाषा की सामग्री को बढ़ावा देने के लिए हमने गत वर्ष भारतीय भाषा इंटरनेट एलायंस प्रस्तुत किया है, और हमारे उत्पादों में अधिक से अधिक स्थानीय भाषा समर्थन का निर्माण किया है - हिंदी वॉयस खोज, उन्नत हिंदी कीबोर्ड और एंड्राइड के नवीनतम संस्करण में सात भारतीय भाषाओं के लिए समर्थन में सुधार । और अंत में, सभी भारतीयों को कनेक्टिविटी का लाभ लेने में मदद करने के लिए, हमने महिलाओं, जो कि आज भारत में इंटरनेट उपयोगकर्ताओं का सिर्फ एक तिहाई भाग हैं, की सहायता करने में अपने प्रयास और तेज़ किये हैं, ताकि वे वेब से अधिकतम लाभ उठा सकें।
हज़ारों युवा भारतीय हर दिन चेन्नई सेंट्रल से निकलते हैं, जैसे मैं कई वर्ष पूर्व निकलता था, सीखने और जानने के लिए उत्सुक, और अवसर की खोज में । मेरी आशा है कि यह वाई-फाई परियोजना इन सब बातों को थोड़ा आसान कर देगी।
सुन्दर पिचई, सीईओ, गूगल के द्वारा प्रकाशित
नकारात्मक मीडिया के सकारात्मक व्यापक विकल्प का सार्थक संकल्प -युगदर्पण मीडिया समूह YDMS- तिलक संपादक, 7531949051
यह राष्ट्र जो कभी विश्वगुरु था, आज भी इसमें वह गुण, योग्यता
व क्षमता विद्यमान है | आओ मिलकर इसे बनायें; - तिलक
विश्वगुरु रहा वो भारत, इंडिया के पीछे कहीं खो गया |
अन्यत्र, हिन्दू समाज व हिदुत्व और भारत, को प्रभावित करने वाली
जानकारी का दर्पण है: विश्वदर्पण | आओ, मिलकर इसे बनायें; -तिलक
कभी ज्ञान विज्ञान से विश्वगुरु भारत की, स्वर्ण युग की उस शक्ति को
पहचान देगा; ज्ञान -विज्ञान दर्पण | आओ, मिलकर इसे बनायें; - तिलक
Wednesday, December 31, 2014
"अंग्रेजी का नव वर्ष, भले ही मनाएं;
"अंग्रेजी का नव वर्ष, भले ही मनाएं;
নববর্ষ, નવા વર્ષની, New Year, ಹೊಸ ವರ್ಷದ, പുതുവർഷം, नवीन वर्ष, புத்தாண்டு, న్యూ ఇయర్, ਨਵਾਂ ਸਾਲ, نئے سال
(गुलामी के संकेत/हस्ताक्षर, जो मनाना चाहें)
उमंग उत्साह, चाहे जितना दिखाएँ;
चैत्र के नव रात्रे, जब जब भी आयें;
घर घर सजाएँ, उमंग के दीपक जलाएं;
आनंद से, ब्रह्माण्ड तक को महकाएं;
विश्व में, भारत का गौरव बढाएं "
भारत भ्रष्टाचार व आतंकवाद से मुक्त हो,
हम अपने आदर्श व संस्कृति को पुनर्प्रतिष्ठित कर सकें !
हम अपने आदर्श व संस्कृति को पुनर्प्रतिष्ठित कर सकें !
इन्ही शुभकामनाओं के साथ,
1 जनवरी 2015, ही क्यों ? वर्ष के 365 दिन ही मंगलमय हों,
भवदीय... तिलक
संपादक युगदर्पण राष्ट्रीय साप्ताहिक हिंदी समाचार-पत्र. YDMS 07531949051.
Bangla...
অংগ্রেজী কা নব বর্ষ, ভলে হী মনাএং
Tamil... "அங்க்றேழி கா நவ்வர்ஷ், பாளே ஹாய் மணாஎன்"
"Angrejee kaa nav-varsh, bhale hi manaayen; (Gulaami ke sanket / , jo manana chahen ? umang utsaah, chaahe jitnaa dikhaayen; chetr ke nav-raatre, jab jab bhi aayen; ghar ghar sajaayen, umang ke deepak jalaayen; Aanand se, brahmaand tak ko mahkaayen; Vishva me, Bhaarat kaa gaurav badaayen." matr 1 Jan 2015, hi kyon ? varsh ke 365 din hi mangalmay hon, Bhaarat bhrashtaachar v aatankvaad se mukt ho, ham apne aadarsh v sanskruti ko punrpratishthit kar saken ! inhi shubhakaamanaaon ke saath, bhavdiya.. Tilak Sampaadak Yug Darpan Raashtriya Saptaahik Hindi Samaachar-Patra. YDMS 09911111611.
"అంగ్రేజీ కా నవ్వర్ష్, భలే హాయ్ మనాఎన్; (పొగడ్తలు ఇది బానిసత్వం సిగ్నల్ / గుర్తు) ఉమంగ్ ఉత్సః, చాహే జితనా దిఖాఎన్; చేతర్ కె నవరాత్రు, జబ జబ భి ఆయెన్; ఘర్ ఘర్ సజాఎన్, ఉమంగ్ కె దీపక్ జలాఎన్; ఆనంద్ సే, బ్రహ్మాండ్ తక కో మహ్కాఎన్; విశ్వ మే, భారత్ కా గౌరవ్ బదాఎన్. " జనవరి 1, 2015, ఎందుకు మాత్రమే ? వ వర్ష కె 365 దిన్ హాయ్ మంగల్మి హాన్, భారత్ భ్రష్టాచార్ వ ఆటన్క్వాద్ సే ముక్త హో, హం అపనే ఆదర్శ్ వ సంస్కృతి కో పున్ర్ప్రతిశ్తిట్ కర్ సకేన్ ! ఇంహి శుభాకామనావున్ కె సాత్, భవదీయ.. తిలక్ సంపాదక్ యుగ దర్పన్ రాష్ట్రీయ సప్తాహిక్ హిందీ సమాచార్-పాత్ర. YDMS 09911111611.
"અંગ્રેઝી કા નવવર્ષ, ભલે હી માંનાયેન; (સ્લેવરી સિગ્નલ / સાઇન છે, કે જે મનાવવું શકે છે) ઉમંગ ઉત્સાહ, ચાહે જીતના દીખાયેન; ચેત્ર કે નવરાત્રે, જબ જબ ભી આયેન; ઘર ઘર સજાયેન, ઉમંગ કે દિપક જલાયેન; આનંદ સે, બ્રહ્માંડ તક કો મહ્કાયેન; વિશ્વ મેં, ભારત કા ગૌરવ બદાયેન. "માત્ર જાન્યુઆરી 1, 2015, શા માટે? વર્ષ કે 365 દિન હી મંગલમય હોં, ભારત ભ્રષ્ટાચાર વ આતંકવાદ સે મુક્ત હો, હમ અપને આદર્શ વ સંસ્કૃતિ કો પુન્ર્પ્રતીશ્થીત કર સકેં ! ઇન્હી શુભકામનાઓન કે સાથ, ભવદીય.. તિલક સંપાદક યુગ દર્પણ રાષ્ટ્રીય સાપ્તાહિક હિન્દી સમાચાર -પત્ર.YDMS 09911111611.
"ಆಂಗ್ರೆಶಿ ಕಾ ನವ -ವರ್ಷ, ಭಲೇ ಹಿ ಮನಾಯೇನ್; (ಏಕಾಕ್ಷ ಇದು ಗುಲಾಮಗಿರಿ ಸಂಕೇತ / ಸೈನ್) ಉಮಂಗ್ ಉತ್ಸಃ, ಚಾಹೆ ಜಿತನಾ ದಿಖಾಯೇನ್; ಚೆತ್ರ್ ಕೆ ನವ್ರಾತ್ರೆ, ಜಬ್ ಜಬ್ ಭಿ ಆಯೇನ್; ಘರ್ ಘರ್ ಸಜಾಯೇನ್, ಉಮಂಗ್ ಕೆ ದೀಪಕ್ ಜಲಾಯೇನ್; ಆನಂದ್ ಸೆ, ಬ್ರಹ್ಮಾಂದ್ ತಕ ಕೊ ಮಹ್ಕಾಯೇನ್; ವಿಶ್ವ ಮೇ, ಭಾರತ ಕಾ ಗೌರವ್ ಬದಾಯೇನ್. "ಜನವರಿ 1, 2015, ಏಕೆ ಮಾತ್ರ? ವ ವರ್ಷ ಕೆ 365 ದೀನ್ ಹಿ ಮಂಗಲ್ಮಿ ಹೊಂ, ಭಾರತ ಭ್ರಷ್ತಾಚರ್ ವ ಆತಂಕ್ವಾದ್ ಸೆ ಮುಕ್ತ ಹೊ, ಹಮ್ ಅಪನೇ ಆದರ್ಶ್ ವ ಸಂಸ್ಕೃತಿ ಕೊ ಪುನ್ರ್ಪ್ರತಿಷ್ಟ್ಹತ್ ಕರ್ ಸಕೆನ್ ! ಇನ್ಹಿ ಶುಭಕಾಮನಾಒನ್ ಕೆ ಸಾಥ್, ಭಾವ್ದಿಯ.. ತಿಲಕ್ ಸಂಪಾಡಕ್ ಯುಗ ದರ್ಪಣ್ ರಾಷ್ಟ್ರೀಯ ಸಪ್ತಾಹಿಕ್ ಹಿಂದಿ ಸಮಾಚಾರ್ -ಪತ್ರ . YDMS 09911111611.
"ਅੰਗ੍ਰੇਜੀ ਦਾ ਨਵਾਂ ਵਰਸ਼ ਭਲੇ ਹੀ ਮਨਾਓ, ਗੁਲਾਮੀ ਦਾ ਪ੍ਰਤੀਕ /ਸੰਕੇਤ, ਉਮੰਗ ਉਤਸਾਹ ਚਾਹੇ ਜਿਤਨਾ ਦਿਖਾਓ; ਚੇਤਰ ਦੇ ਨਵਰਾਤਰੇ ਜਦ ਜਦ ਵੀ ਆਉਣ; ਘਰ ਘਰ ਸਜਾਓ, ਉਮੰਗ ਦੇ ਦੀਪਕ ਜਲਾਓ; ਆਨਾਨਾਦ ਨਾ ਬ੍ਰਹ੍ਮਾੰਡ ਨੂ ਮਹ੍ਕਾਓ, ਵਿਸ਼ਵ ਵਿਚ, ਭਾਰਤ ਦਾ ਗ਼ੋਰਾਵ ਵਧਾਓ. "1 ਜਨ. 2015 ਹ ਕਯੋਂ ? ਵ ਵਰ੍ਸ਼ ਦੇ 365 ਦਿਨ ਹੀ ਮੰਗਲ ਮਯ ਹੋਣ, ਭ੍ਰਸ਼੍ਟਾਚਾਰ ਤੇ ਆਤੰਕ ਵਾਦ ਤੋਂ ਭਾਰਤ ਮੁਕਤ ਹੋਵੇ, ਅਸਾਂ ਆਪਣੇ ਆਦਰ੍ਸ਼ ਤੇ ਸੰਸਕ੍ਰਿਤਿ ਨੂੰ ਫੇਰ ਸ੍ਥਾਪਿਤ ਕਰ ਸਕਿਏ ! ਇਨਹਾਂ ਸ਼ੁਭ ਕਾਮਨਾਵਾਂ ਦੇ ਨਾਲ, ਆਪਦਾ.. ਤਿਲਕ -ਸੰਪਾਦਕ ਯੁਗ ਦਰ੍ਪਣ, ਰਾਸ਼੍ਟ੍ਰੀਯ ਸਾਪ੍ਤਾਹਿਕ ਸਮਾਚਾਰ ਪਤ੍ਰ. YDMS 09911111611.
"അന്ഗ്രെജീ കാ നവ വര്ഷ, ഭലേ ഹി മനായേന്; (ഗുലാമി ക പ്രറ്റീക്/സന്കെറ്റ്, ജോ മനന ചാഹെ) ഉമന്ഗ് ഉറ്റ്സാഹ്, ചാഹെ ജിതനാ ദിഖയെന്; ചേട്ര് കെ നവ്രട്രെ, ജബ് ജബ് ഭീ ആയെന്; ഘര് ഘര് സജായെന്, ഉമന്ഗ് കെ ദീപക് ജലായെന്; ആനന്ദ് സെ, ബ്രഹ്മാന്ദ് ടാക് കോ മഹാകായെന്; വിശ്വ് മി, ഭാരത കാ ഗൌരവ് ബടായെന്. "ഐ ജന. 2015 ഹി ക്യോന്? വ വര്ഷ കെ 365 ദിന് ഹി മങ്ങല്മി ഹോണ്, ഭാരത ഭ്രാഷ്ടാചാര് വ ആടങ്ക്വാദ് സെ മുക്റ്റ് ഹോ, ഹാം അപ്നെ ആദര്ശ് വ സന്സ്ക്രുടി കോ പുന്ര്പ്രടിശ്തിറ്റ് കാര് സകെന് ! ഇന്ഹി ശുഭ കാമ്നാഒന് കെ സാത്, ഭവദീയ.. തിളക് സംപാടാക് യുഗ്ദാര്പന് രാഷ്ട്രീയ ഹിന്ദി സമാചാര് പടര്. YDMS 09911111611.
उत्तिष्ठत अर्जुन, उत्तिष्ठत जाग्रत !
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यह राष्ट्र जो कभी विश्वगुरु था, आज भी इसमें वह गुण,योग्यता व क्षमता विद्यमान है | आओ मिलकर इसे बनायें; - तिलक
कभी ज्ञान विज्ञान से विश्वगुरु भारत की, स्वर्ण युग की उस शक्ति को पहचान देगा; ज्ञान -विज्ञान दर्पण | आओ, मिलकर इसे बनायें; - तिलक
Wednesday, November 5, 2014
प्रकाशपर्व की बधाइयाँ
प्रकाशपर्व की बधाइयाँ
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यह राष्ट्र जो कभी विश्वगुरु था, आज भी इसमें वह गुण,
योग्यता व क्षमता विद्यमान है | आओ मिलकर इसे बनायें; - तिलक
कभी ज्ञान विज्ञान से विश्वगुरु भारत की, स्वर्ण युग की उस शक्ति को
पहचान देगा; ज्ञान -विज्ञान दर्पण | आओ, मिलकर इसे बनायें; - तिलक
Saturday, October 11, 2014
लौह स्तंभ
लौह स्तंभ भारतीय हिंदू कला, विज्ञान, प्रौद्योगिकी, और पुरालेख शास्त्र का एक अनुपम उदाहरण है।
लौह स्तंभ दिल्ली में क़ुतुब मीनार के निकट स्थित एक विशाल स्तम्भ है। यह अपनेआप में प्राचीन भारतीय धातुकर्म की पराकाष्ठा है। यह कथित रूप से राजा चन्द्रगुप्त विक्रमादित्य (शासन 375 - 413) से निर्माण कराया गया, किंतु कुछ विशेषज्ञों का मानना है कि इसके पूर्व निर्माण किया गया, संभवतः 912 ईपू में। स्तंभ की उँचाई लगभग सात मीटर है और पहले हिंदू व जैन मंदिर का एक भाग था। तेरहवीं सदी में कुतुबुद्दीन ऐबक ने मंदिर को नष्ट करके क़ुतुब मीनार की स्थापना की। लौह-स्तम्भ में लोहे की मात्रा प्राय: 98% है और अभी तक जंग नहीं लगा है। अर्थात लोहा बनाना उसके अवयव से इस्पात बनाने की विधि यहाँ उपलब्ध थी। अन्य सभ्यताओं का इतिहास डेढ़ से दो सहस्त्र वर्ष का है किन्तु कई सहस्त्र वर्ष पूर्व हिन्दू जीवन के प्रत्येक क्षेत्र में उत्कृष्टता के अद्वितीय उदाहरणों ने सम्पूर्ण जगत को अचंभित किया है।
लगभग 16000 से अधिक वर्षों से यह खुले आकाश के नीचे सदियों से हर मौसम में अविचल खड़ा है। इतने वर्षों में आज तक उसमें जंग नहीं लगी, यह बात विश्व के लिए आश्चर्य का विषय है। जहां तक इस स्तंभ के इतिहास का प्रश्न है, यह चौथी सदी में बना था। इस स्तम्भ पर संस्कृत में जो उत्कीर्ण किया 'उकेरा' हुआ है, उसके अनुसार इसे ध्वज स्तंभ के रूप में खड़ा किया गया था। चन्द्रराज द्वारा मथुरा में विष्णु पहाड़ी पर निर्मित भगवान विष्णु के मंदिर के सामने इसे ध्वज स्तंभ के रूप में खड़ा किया गया था। इस पर गरुड़ स्थापित करने हेतु इसे बनाया गया होगा, अत: इसे गरुड़ स्तंभ भी कहते हैं। 1050 में यह स्तंभ दिल्ली के संस्थापक, अनंगपाल द्वारा लाया गया। विकिपीडिया मुक्त ज्ञानकोश से साभार http://hi.wikipedia.org/wiki/%E0%A4%B2%E0%A5%8C%E0%A4%B9_%E0%A4%B8%E0%A5%8D%E0%A4%A4%E0%A4%82%E0%A4%AD
इस स्तंभ की ऊंचाई 735.5 से.मी. है। इसमें से 50 सेमी. नीचे है। 45 से.मी. चारों ओर पत्थर का आधार मंच है। इस स्तंभ का घेरा 41.6 से.मी. नीचे है तथा 30.4 से.मी. ऊपर है। इसके ऊपर गरुड़ की मूर्ति, पहले कभी होगी। स्तंभ का कुल भार 6096 कि.ग्रा. है। 1961 में इसके रासायनिक परीक्षण से पता लगा कि यह स्तंभ आश्चर्यजनक रूप से शुद्ध इस्पात का बना है तथा आज के इस्पात की तुलना में इसमें कार्बन की मात्रा अतिन्यून है। भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण के मुख्य रसायन शास्त्री डॉ॰ बी.बी. लाल इस निष्कर्ष पर पहुंचे हैं कि इस स्तंभ का निर्माण गर्म लोहे के 20-30 किलो को टुकड़ों को जोड़ने से हुआ है। माना जाता है कि 120 शिल्पकारों ने दिनों के परिश्रम के बाद इस स्तम्भ का निर्माण किया। आज से सोलह सौ वर्ष पूर्व गर्म लोहे के टुकड़ों को जोड़ने की उक्त तकनीक भी आश्चर्य का विषय है, क्योंकि पूरे लौह स्तम्भ में एक भी जोड़ कहीं भी दिखाई नहीं देता। सोलह शताब्दियों से खुले में रहने के बाद भी उसके वैसे के वैसे बने रहने (जंग न लगने) की स्थिति ने विशेषज्ञों को चकित किया है। इसमें फास्फोरस की अधिक मात्रा व सल्फर तथा मैंगनीज कम मात्रा में है। कठोर परत 'स्लग' की अधिक मात्रा अकेले तथा सामूहिक रूप से जंग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ा देते हैं। इसके अतिरिक्त 50 से 600 माइक्रोन मोटी (एक माइक्रोन अर्थात 1 मि.मी. का एक सहस्त्रांश) आक्साइड की परत भी स्तंभ को जंग से बचाती है।
कभी ज्ञान विज्ञान से विश्वगुरु भारत की, स्वर्ण युग की उस शक्ति को
पहचान देगा; ज्ञान -विज्ञान दर्पण | आओ, मिलकर इसे बनायें; - तिलक

कभी ज्ञान विज्ञान से विश्वगुरु भारत की, स्वर्ण युग की उस शक्ति को
पहचान देगा; ज्ञान -विज्ञान दर्पण | आओ, मिलकर इसे बनायें; - तिलक
Tuesday, September 23, 2014
भारत का मंगलकार्य सफल
भारत का मंगलकार्य सफल
अंतरिक्ष यात्रा 10 माह विडिओ में दर्शाया गया :-
https://www.youtube.com/watch?v=lMmyEJiOB-8&index=17&list=PLD8A212A480412E57
9 माह 23 दिवस की अंतरिक्ष यात्रा, का मार्ग।
9 माह 23 दिवस की अंतरिक्ष यात्रा, का मार्ग।
यह स्थिति पूर्णतया ‘‘इस पार या उस पार’’ वाली थी, क्योंकि समस्त कौशल के बाद भी एक तुच्छ सी भूल ऑर्बिटर को अंतरिक्ष की गहराइयों में धकेल सकती थी। यान की पूर्ण कौशल युक्त प्रक्रिया, मंगल के पीछे हुई; जैसा कि पृथ्वी से देखा गया। इसका अर्थ यह था कि मंगल परिक्रमा प्रवेश प्रज्ज्वलन में लगे, 4 मिनट के समय से लेकर प्रक्रिया के निर्धारित समय पर समापन के तीन मिनट बाद तक, पृथ्वी पर उपस्थित वैज्ञानिक दल यान की प्रगति नहीं देख पाए। ऑर्बिटर अपने उपकरणों के साथ कम से कम 6 माह तक दीर्घ वृत्ताकार पथ पर घूमता रहेगा और उपकरण एकत्र आंकड़े पृथ्वी पर भेजते रहेंगे। मंगल की कक्षा में यान को सफलतापूर्वक पहुंचाने के बाद भारत लाल ग्रह की कक्षा या सतह पर यान भेजने वाला चौथा देश बन गया है। अब तक यह उपलब्धि अमेरिका, यूरोप और रूस को मिली थी। कुल 450 करोड़़ रुपये की लागत वाले मंगल यान का उद्देश्य लाल ग्रह की सतह तथा उसके खनिज अवयवों का अध्ययन करना तथा उसके वातावरण में मीथेन गैस की खोज करना है। पृथ्वी पर जीवन के लिए मीथेन एक महत्वपूर्ण रसायन है। इस अंतरिक्ष यान का प्रक्षेपण 5 नवंबर 2013 को आंध्रप्रदेश के श्रीहरिकोटा से स्वदेश निर्मित पीएसएलवी रॉकेट से किया गया था। यह 1 दिसंबर 2013 को पृथ्वी के गुरूत्वाकर्षण से बाहर निकल गया था।
https://www.youtube.com/watch?v=jwHBMR8C6B0&index=87&list=PLDB2CD0863341092A
भारत का एमओएम न्यूनतम लागत वाला अंतरग्रही मिशन है। नासा का मंगल यान मावेन 22 सितंबर को मंगल की कक्षा में प्रविष्ट हुआ था। भारत के एमओएम की कुल लागत मावेन की लागत का मात्र दसवां अंश है। कुल 1,350 किग्रा भार वाले अंतरिक्ष यान में पांच उपकरण लगे हैं। इन उपकरणों में एक संवेदक (सेंसर), एक रंगीन कैमरा और एक 'ताप छायांकन वर्ण-पट यंत्र' थर्मल इमैजिंग स्पेक्ट्रोमीटर शामिल है। संवेदक लाल ग्रह पर जीवन के संभावित संकेत मीथेन अर्थात मार्श गैस का पता लगाएगा। रंगीन कैमरा और 'ताप छायांकन वर्ण-पट यंत्र' लाल ग्रह की सतह का तथा उसमें उपलब्ध खनिज संपदा का अध्ययन कर आंकड़े जुटाएंगे। भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन ने बताया कि अमेरिकी अंतरिक्ष एजेंसी नासा और मावेन की टीम ने भारतीय यान के मंगल की कक्षा में सफलतापूर्वक पहुंचने के लिए इसरो को बधाई दी है।
Antariksha Darpan. the most fascinating blog. About planet, sattelite & cosmology.
सबसे आकर्षक ब्लॉग. ग्रह, उपग्रह, और ब्रह्माण्ड विज्ञान के बारे में.
कभी ज्ञान विज्ञान से विश्वगुरु भारत की, स्वर्ण युग की उस शक्ति को
पहचान देगा; ज्ञान -विज्ञान दर्पण | आओ, मिलकर इसे बनायें; - तिलक
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मंगल अभियान
Sunday, August 17, 2014
जन्माष्टमी की हार्दिक मंगलकामनायें !
जय श्री कृष्ण,
अखिल विश्व में फैले समस्त सनातन भक्तों को (एकमात्र 16 कला सम्पूर्ण अवतार) श्री कृष्ण जन्माष्टमी की कोटि कोटि बधाई और हार्दिक मंगलकामनायें !
रोहिणी नक्षत्र में रात 12 बजे श्री कृष्ण का अवतरण होगा, और शीघ्र ही कंस व जरासंध का नाश होगा। अत्याचारी अधर्मी कंस उ प्र पर सत्तासीन तथा उसके शर्मनिरपेक्ष समर्थक संरक्षक जरासंध।
यहाँ से इडोनेसिया तक, जिनका इमान मूसल है वो मुसल मान हो कर भी, श्रद्धा अहिंसा व भारत भक्त सब जीवों के प्रति दयावान हों, हिंदू ही हैं। सांप्रदायिक यह नहीं, जिहादी सोच है।नकारात्मक मीडिया के सकारात्मक व्यापक विकल्प का सार्थक संकल्प -युगदर्पण मीडिया समूह YDMS- तिलक संपादक
कभी ज्ञान विज्ञान से विश्वगुरु भारत की, स्वर्ण युग की उस शक्ति को
पहचान देगा; ज्ञान -विज्ञान दर्पण | आओ, मिलकर इसे बनायें; - तिलक
अखिल विश्व में फैले समस्त सनातन भक्तों को (एकमात्र 16 कला सम्पूर्ण अवतार) श्री कृष्ण जन्माष्टमी की कोटि कोटि बधाई और हार्दिक मंगलकामनायें !
रोहिणी नक्षत्र में रात 12 बजे श्री कृष्ण का अवतरण होगा, और शीघ्र ही कंस व जरासंध का नाश होगा। अत्याचारी अधर्मी कंस उ प्र पर सत्तासीन तथा उसके शर्मनिरपेक्ष समर्थक संरक्षक जरासंध।
यहाँ से इडोनेसिया तक, जिनका इमान मूसल है वो मुसल मान हो कर भी, श्रद्धा अहिंसा व भारत भक्त सब जीवों के प्रति दयावान हों, हिंदू ही हैं। सांप्रदायिक यह नहीं, जिहादी सोच है।नकारात्मक मीडिया के सकारात्मक व्यापक विकल्प का सार्थक संकल्प -युगदर्पण मीडिया समूह YDMS- तिलक संपादक
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